उड़ीसा :- उड़ीसा के भुवनेश्वर में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जिसने सरकारी तंत्र में छिपे भ्रष्टाचार की गहराई को उजागर कर दिया है। ग्रामीण विकास विभाग के मुख्य अभियंता बैकुंठनाथ षडंगी, जिन्हें महज दो दिन बाद रिटायर होना था, उन्हें आय से अधिक संपत्ति के मामले में विजिलेंस टीम ने रंगे हाथों पकड़ लिया। इस कार्रवाई ने पूरे राज्य में सनसनी फैला दी है, खासकर तब जब छापेमारी के दौरान इंजीनियर के घर से नोटों की गड्डियां खिड़की से फेंकते हुए देखा गया।
छापेमारी का बड़ा ऑपरेशन
विजिलेंस विभाग ने एक सुनियोजित रणनीति के तहत बैकुंठनाथ षडंगी के खिलाफ कार्रवाई की। भुवनेश्वर, अनुगुल समेत कुल चार ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की गई। इसके अतिरिक्त राज्य के अन्य तीन जिलों में भी इंजीनियर से जुड़े परिसरों पर तलाशी अभियान चलाया गया।
सबसे चौंकाने वाला दृश्य अनुगुल स्थित उनके घर से देखने को मिला, जब अधिकारियों की मौजूदगी में इंजीनियर साहब खिड़की से नोटों की गड्डियां बाहर फेंकते पाए गए। ऐसा शायद उन्होंने इस आशा में किया कि पैसे को जब्त होने से बचाया जा सके, लेकिन कैमरों और अधिकारियों की सतर्क निगरानी में यह चाल बेकार गई।
2 करोड़ की नगद राशि जब्त
अब तक की कार्रवाई में करीब 2 करोड़ रुपये नगद, कीमती आभूषण, कई जमीन-जायदाद के कागजात, बैंक खातों का विवरण और कई लग्जरी सामान बरामद किए गए हैं। प्रारंभिक जांच के मुताबिक, षडंगी की कुल संपत्ति उनकी घोषित आय से कई गुना अधिक है, जो साफ तौर पर भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती है।
रिटायरमेंट से पहले ही फाइनल एक्सपोज
इस मामले की सबसे बड़ी विडंबना यह है कि बैकुंठनाथ षडंगी दो दिन बाद सेवानिवृत्त होने वाले थे। आमतौर पर ऐसे अधिकारी रिटायरमेंट से पहले खुद को विवादों से बचाकर चलना पसंद करते हैं, लेकिन यहां मामला उल्टा निकला।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि विजिलेंस टीम ने समय रहते कार्रवाई न की होती, तो इतने बड़े पैमाने पर जमा किया गया काला धन कभी सामने न आ पाता।
सिस्टम पर सवाल और जनता का गुस्सा
इस मामले ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि सरकारी विभागों में पारदर्शिता की कितनी सख्त ज़रूरत है। आम जनता का गुस्सा और आक्रोश भी सोशल मीडिया और खबरों में देखने को मिल रहा है। लोगों का कहना है कि अगर एक इंजीनियर के पास इतनी संपत्ति हो सकती है, तो बाकी बड़े अधिकारियों के पास क्या होगा?
आगे की कार्रवाई
विजिलेंस विभाग ने मामला दर्ज कर लिया है और षडंगी से पूछताछ जारी है। सूत्रों के अनुसार, उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत भी कार्रवाई की जा सकती है। विभाग यह पता लगाने में जुटा है कि इस अवैध कमाई में किन-किन अधिकारियों या ठेकेदारों की मिलीभगत रही है.
बैकुंठनाथ षडंगी का मामला एक बार फिर यह साबित करता है कि भ्रष्टाचार की जड़ें सिस्टम में गहराई तक फैली हुई हैं। हालांकि विजिलेंस विभाग की इस कार्रवाई से यह उम्मीद बंधती है कि यदि ईमानदारी से जांच हो, तो किसी भी स्तर पर बैठे भ्रष्ट अधिकारी को बेनकाब किया जा सकता है।
रिटायरमेंट से दो दिन पहले जब कोई अधिकारी नोटों की गड्डियों को खिड़की से बाहर फेंकता है, तो यह सिर्फ एक इंसान की नहीं, पूरे सिस्टम की नैतिक विफलता का संकेत बन जाता है