नई दिल्ली:- दिल्ली में एक चौंकाने वाले मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के एक सहायक उप निरीक्षक (एएसआई) मोती राम जाट को पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। जांच में पता चला है कि पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी टीवी पत्रकार बनकर जाट से संपर्क में आए और उसे जासूसी के जाल में फंसा लिया।
जासूसी का तरीका
पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों ने जाट को एक चंडीगढ़ स्थित समाचार चैनल के पत्रकार के रूप में संपर्क किया और उससे कुछ जानकारी साझा करने का अनुरोध किया। जाट ने शुरुआत में कुछ जानकारी साझा की जिसके बाद पाकिस्तानी अधिकारियों ने उसे 3,500 रुपये प्रति माह और महत्वपूर्ण जानकारी के लिए 12,000 रुपये अतिरिक्त देना शुरू कर दिया। जाट ने अपनी और अपनी पत्नी के खातों में यह पैसा प्राप्त किया।
सीआरपीएफ एएसआई की भूमिका
मोती राम जाट सीआरपीएफ की 116 बटालियन में तैनात थे जो जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में तैनात थी। वह 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले से पांच दिन पहले दिल्ली स्थानांतरित किए गए थे। जांच में पता चला है कि जाट ने पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों के साथ कई महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कीं जिनमें सुरक्षा बलों की तैनाती, गश्त और आतंकवादियों के ठिकानों की जानकारी शामिल थी।
एनआईए की कार्रवाई
एनआईए ने जाट को दिल्ली से गिरफ्तार किया और उससे पूछताछ की। जांच एजेंसी ने पाया कि जाट पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों के साथ मिलकर जासूसी गतिविधियों में शामिल था और उसने कई महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कीं। जाट को 6 जून तक एनआईए की हिरासत में भेज दिया गया है।
ऑपरेशन सिंदूर
जाट की गिरफ्तारी “ऑपरेशन सिंदूर” नामक एक बड़ी कार्रवाई का हिस्सा है जिसमें एनआईए ने देश भर में कई लोगों को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया है। इस ऑपरेशन का उद्देश्य पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वाले लोगों को पकड़ना और उन्हें सजा दिलाना है।
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा
जाट की गिरफ्तारी ने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़े खतरे को उजागर किया है। यह मामला दिखाता है कि पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी किस तरह से भारतीय सुरक्षा बलों के सदस्यों को जासूसी के जाल में फंसा सकते हैं। इस मामले में आगे की जांच जारी है और एनआईए जल्द ही और गिरफ्तारियां कर सकती है l