टीवी इतिहास में जब भी रामायण की बात होती है, तो उसमें विभीषण का किरदार निभाने वाले मुकेश रावल का नाम हमेशा याद किया जाता है। अरुण गोविल द्वारा निभाए गए राम और दारा सिंह के हनुमान जितने ही प्रभावशाली मुकेश रावल का अभिनय भी था, जिसने विभीषण को एक सजीव, संवेदनशील और न्यायप्रिय चरित्र के रूप में स्थापित किया। लेकिन इस दमदार कलाकार की जिंदगी के पीछे छुपा दर्द और उनका अंत उतना ही दुखद और सोचने पर मजबूर कर देने वाला रहा।
अभिनय की दुनिया में सम्मानित नाम
मुकेश रावल ने अपने करियर की शुरुआत गुजराती रंगमंच से की थी। उनका अभिनय स्वाभाविक और प्रभावशाली था, जिसने दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी। ‘रामायण’ में विभीषण की भूमिका ने उन्हें घर-घर में लोकप्रिय बना दिया। इसके बाद उन्होंने कई टीवी धारावाहिकों और फिल्मों में भी काम किया, लेकिन उनका व्यक्तित्व कभी ग्लैमर से अंधा नहीं हुआ। वे बेहद सरल, संवेदनशील और परिवार के प्रति समर्पित व्यक्ति थे।
व्यक्तिगत जीवन में गहरी पीड़ा
मुकेश रावल की ज़िंदगी में एक ऐसा दौर भी आया जब निजी दुख ने उन्हें पूरी तरह झकझोर दिया। वर्ष 2000 में उनके जवान बेटे की एक ट्रेन हादसे में मौत हो गई थी। इस घटना ने उन्हें अंदर से तोड़कर रख दिया। वे इस आघात से कभी पूरी तरह उबर नहीं पाए। उनका मन लगातार इस क्षति के बोझ तले दबा रहा।