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ज्योति मल्होत्रा जासूसी मामला: महाराष्ट्र सरकार केंद्र से सहयोग में जुटी, हिरासत पर अभी कोई निर्णय नहीं

नई दिल्ली :- ज्योति मल्होत्रा जासूसी मामले में देशभर की सुरक्षा एजेंसियों की निगाहें टिकी हुई हैं। इस केस में कई संवेदनशील पहलुओं को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार भी पूरी सतर्कता से कदम उठा रही है। महाराष्ट्र के मंत्री योगेश रामदास कदम ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि अगर जरूरत पड़ी तो सरकार आरोपी की हिरासत की मांग करेगी, लेकिन फिलहाल राज्य सरकार केंद्रीय एजेंसियों के साथ लगातार संपर्क में है।

हरियाणा निवासी यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा पर गंभीर आरोप लगे हैं कि उन्होंने देश की सुरक्षा से जुड़ी संवेदनशील सूचनाओं को विदेशी एजेंसियों तक पहुंचाया। हालांकि जांच अभी प्रारंभिक चरण में है, लेकिन जो जानकारियां अब तक सामने आई हैं, वे बेहद चौंकाने वाली हैं।

“हिरासत तभी मांगेंगे जब जरूरत हो”

मंत्री योगेश कदम ने साफ किया कि राज्य सरकार जल्दबाज़ी में कोई कदम नहीं उठाना चाहती। उन्होंने कहा, “हमें जो जानकारी चाहिए, वह हमें केंद्र सरकार और संबंधित एजेंसियों से मिल जाएगी। अगर जरूरत महसूस हुई और जांच में सहयोग के लिए हिरासत आवश्यक हुआ, तो हम निश्चित रूप से उस दिशा में कार्रवाई करेंगे।”

यह बयान उस समय आया है जब मीडिया और सोशल मीडिया पर यह सवाल उठाए जा रहे थे कि महाराष्ट्र सरकार आरोपी की कस्टडी क्यों नहीं मांग रही। लेकिन मंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि सरकार सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए ही कोई निर्णय लेगी।

केंद्रीय एजेंसियों के साथ समन्वय

सरकार का फोकस फिलहाल इस मामले की तह तक पहुंचने और सटीक जानकारी जुटाने पर है। मंत्री योगेश कदम ने बताया कि राज्य की खुफिया एजेंसियां केंद्रीय एजेंसियों के साथ समन्वय में काम कर रही हैं। उन्होंने भरोसा जताया कि जो भी संवेदनशील जानकारी इन एजेंसियों के पास है, उसे महाराष्ट्र सरकार के साथ साझा किया जाएगा।

सोशल मीडिया की भूमिका भी जांच के घेरे में

ज्योति मल्होत्रा एक यूट्यूबर हैं और उनके चैनल पर लाखों फॉलोअर्स हैं। बताया जा रहा है कि उन्होंने कुछ वीडियो में ऐसे विषयों पर बात की थी, जो राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी जानकारी को सार्वजनिक करने की श्रेणी में आ सकते हैं। सुरक्षा एजेंसियां यह भी जांच कर रही हैं कि क्या किसी विदेशी संस्था से उन्हें फंडिंग या दिशा-निर्देश मिल रहे थे।

इस मामले ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि डिजिटल युग में जानकारी का दुरुपयोग कितनी गंभीर समस्या बन सकता है। महाराष्ट्र सरकार का रुख फिलहाल संयमित और रणनीतिक है। जांच एजेंसियों को अपना काम करने दिया जा रहा है और कानून के दायरे में रहकर हर जरूरी कदम उठाने की तैयारी की जा रही है।

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