लखनऊ (उत्तर प्रदेश): यूपी की राजधानी लखनऊ में अंसल ग्रुप के खिलाफ सुशांत गोल्फ सिटी थाना में 5 नई FIR दर्ज की गई हैं। इससे पहले गोमतीनगर और हजरतगंज थाने में भी दो मामले दर्ज हो चुके हैं। आरोप है कि कंपनी ने प्लॉट और विला बेचने के नाम पर करोड़ों की ठगी की। ग्राहकों से पैसे लेने के बाद भी उन्हें कब्जा और रजिस्ट्री नहीं दी गई। जब खरीदारों ने जवाब मांगा तो उन्हें धमकाया गया।
पीड़ितों की शिकायतें:
1. कैप्टन कन्हैया लाल (रिटायर्ड) – 2012 में 12.71 लाख देकर विला बुक किया, लेकिन आज तक कब्जा नहीं मिला।
2. राकेश चंद्र श्रीवास्तव – 2007 में 3.5 लाख में प्लॉट खरीदा, लेकिन अब तक कोई रजिस्ट्री नहीं हुई।
3. कैलाश चंद्र – तीन प्लॉट बुक कराए, लेकिन कंपनी ने रजिस्ट्री करने से इनकार कर दिया।
4. पुष्पलता बाजपेई – 2011 में 13.21 लाख देकर प्लॉट बुक किया, अब तक नहीं मिला।
5. वीना चंदानी – 2011 में 16.63 लाख में दो प्लॉट खरीदे, लेकिन कब्जा नहीं मिला।
2 करोड़ देने के बाद भी नहीं मिला प्लॉट
गोमती ग्रींस के निवासी अनुपम अग्रवाल ने सितंबर 2022 में 2.32 करोड़ रुपए देकर 1528 वर्ग फीट का प्लॉट खरीदा था। कंपनी ने जल्द रजिस्ट्री का वादा किया, लेकिन बाद में प्लॉट का आवंटन रद्द कर दिया। जांच में पता चला कि वही जमीन पहले ही 3.33 करोड़ में बेची जा चुकी थी।
अंसल ग्रुप पर घोटाले के आरोप
पीड़ितों ने अंसल प्रॉपर्टी एंड इंफ्रा के निदेशक प्रणव अंसल, सुशील अंसल, राजेश्वर राव, विकास सिंह, विनय तिवारी, प्रशांत और मनोज कपूर पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। निवेशकों का कहना है कि यह यूपी के इतिहास का सबसे बड़ा प्रॉपर्टी घोटाला हो सकता है।
अंसल को ऐसे मिला फायदा
2003 में अंसल को 1335 एकड़ की टाउनशिप का लाइसेंस मिला था लेकिन 5 साल तक कोई विकास नहीं हुआ। इसके बावजूद 2008 में सरकार ने इसका दायरा 3530 एकड़ कर दिया। 2012 में टाउनशिप का क्षेत्र बढ़ाकर 6500 एकड़ कर दिया गया। इस दौरान अधिकारियों ने नियमों में बदलाव करके डेवलपर्स को फायदा पहुंचाया।
अब पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है और निवेशकों को न्याय दिलाने के लिए कार्रवाई की जा रही है।