महाराष्ट्र : गिल्लन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली परिधीय तंत्रिका तंत्र पर हमला करती है।’गिल्लन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली परिधीय तंत्रिकाओं को प्रभावित करती है। इससे मरीज़ों में कमज़ोरी, हाथ-पैरों में सुन्नपन और गंभीर मामलों में लकवा भी हो सकता है…’ – ग्लेनईगल्स अस्पताल, परेल, मुंबई के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. पंकज अग्रवाल ने बताया।
गिल्लन-बैरे सिंड्रोम (Guillain-Barre Syndrome) के लक्षण
– हाथ-पैरों में कमज़ोरी
– उंगलियों, टखनों या कलाई में झुनझुनी
– चलने या सीढ़ियाँ चढ़ने में कठिनाई
– तेज़ दिल की धड़कन
– सांस लेने में तकलीफ
– निगलने में कठिनाई
– दस्त और उल्टी
उपरोक्त लक्षण दिखते ही बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर को बीमारी के लक्षण बताने के बाद आपको उचित ट्रीटमेंट दिया जाएगा।कई मरीज़ों को पहले हाथों या पैरों में कमज़ोरी महसूस होती है। डॉक्टरों का कहना है कि ज़्यादातर मामलों में लक्षण दिखाई देने में पाँच से छह दिन लगते हैं।
क्यों तेजी से फैल रही ये बीमारी?
पुणे में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) पुणे नगर निगम और स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों की मदद से प्रभावित क्षेत्रों में सक्रिय रूप से निगरानी कर रही है। टीम ने अब तक शहर और इसके ग्रामीण जिलों में 7,200 से अधिक घरों का सर्वे किया है। चिंचवड में 1,750 घरों और ग्रामीण क्षेत्रों में 3,522 घरों का सर्वेक्षण किया गया है।
यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि कहीं ये बीमारी पानी के कारण तो नहीं फैल रही है। लेकिन अभी कोई साफ जानकारी नहीं आई है। इस बीमारी को एक रेयर डिजीज माना जाता है। लेकिन फिर भी पुणे में इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। अभी तक यह पता नहीं लग सका है कि ये सिंड्रोम एक साथ इतने लोगों को कैसे हो गया है।