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भारत के भगोड़ों की वापसी, प्रत्यर्पण प्रयासों की मौजूदा स्थिति

नई दिल्ली:-भारत सरकार विभिन्न अपराधों में वांछित भगोड़ों को देश वापस लाने के लिए सक्रिय रूप से प्रत्यर्पण प्रयासों में जुटी है। हाल ही में मुंबई आतंकी हमलों के दोषी तहव्वुर हुसैन राणा के प्रत्यर्पण का मार्ग प्रशस्त हुआ है जिससे अन्य भगोड़ों के मामलों पर भी ध्यान केंद्रित हुआ है।

पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक तहव्वुर हुसैन राणा पर 2008 के मुंबई आतंकी हमलों में शामिल होने का आरोप है जिसमें 160 से अधिक लोग मारे गए थे। उन्हें 2009 में डेनमार्क में एक आतंकी साजिश के लिए गिरफ्तार किया गया था और लश्कर-ए-तैयबा को सहायता प्रदान करने का दोषी ठहराया गया था। हाल ही में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है, जिससे उन्हें भारत लाने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

विजय माल्या किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व प्रमुख पर भारतीय बैंकों से 9,000 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण धोखाधड़ी का आरोप है। वर्तमान में वह ब्रिटेन में हैं और भारत सरकार उनके प्रत्यर्पण के लिए कानूनी प्रयास कर रही है। ब्रिटिश अदालतों ने उनके प्रत्यर्पण को मंजूरी दी है लेकिन माल्या ने इसके खिलाफ अपील दायर की है, जिससे प्रक्रिया में देरी हो रही है।

हीरा व्यापारी नीरव मोदी पर पंजाब नेशनल बैंक के साथ लगभग 13,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है। वह भी ब्रिटेन में हैं और भारत सरकार उनके प्रत्यर्पण के लिए प्रयासरत है। ब्रिटिश अदालत ने उनके प्रत्यर्पण को मंजूरी दी है लेकिन नीरव मोदी ने मानसिक स्वास्थ्य के आधार पर अपील दायर की है जिससे प्रत्यर्पण प्रक्रिया लंबित है।

गोल्डी बरार एक कुख्यात गैंगस्टर पर भारत में हत्या, जबरन वसूली और अन्य गंभीर अपराधों के आरोप हैं। वह वर्तमान में अमेरिका में है और भारत ने उनके प्रत्यर्पण के लिए अनुरोध भेजा है। हालांकि अमेरिका से इस पर अभी तक कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं मिली है।

हथियार डीलर संजय भंडारी पर कर चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं। वह वर्तमान में ब्रिटेन में हैं और भारत सरकार उनके प्रत्यर्पण के लिए कानूनी प्रक्रिया में लगी हुई है। ब्रिटिश अदालतों में इस मामले की सुनवाई चल रही है।

भारत सरकार इन भगोड़ों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कानूनी और कूटनीतिक प्रयास कर रही है। हालांकि प्रत्यर्पण प्रक्रियाएं जटिल और समय-सापेक्ष होती हैं लेकिन सरकार इन मामलों में सकारात्मक परिणाम हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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