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सलमान रुश्दी पर हमले के आरोपी का मुकदमा शुरू, जूरी का चयन

न्यूयॉर्क(अल्बानी):- प्रसिद्ध लेखक सलमान रुश्दी पर पिछले साल हुए जानलेवा हमले के मामले में आखिरकार मुकदमा शुरू हो गया है। न्यूयॉर्क की एक अदालत में सोमवार को जूरी चयन की प्रक्रिया शुरू हुई, जो कई दिनों तक चलने की संभावना है। इस मुकदमे में हादी मतार नामक 24 वर्षीय व्यक्ति पर रुश्दी की हत्या का प्रयास करने और उन्हें गंभीर रूप से घायल करने का आरोप है।

पिछले साल अगस्त में न्यूयॉर्क के चौटाउक्वा इंस्टीट्यूशन में एक साहित्यिक कार्यक्रम के दौरान मतार ने रुश्दी पर चाकू से हमला किया था। इस हमले में रुश्दी की एक आंख की रोशनी चली गई और उनके एक हाथ की नसें भी क्षतिग्रस्त हो गईं। हमले के समय रुश्दी मंच पर व्याख्यान दे रहे थे। इस घटना ने दुनिया भर में लेखकों, बुद्धिजीवियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के बीच आक्रोश और चिंता की लहर पैदा कर दी थी।

सलमान रुश्दी, अपनी विवादास्पद पुस्तक “द सैटेनिक वर्सेज” के लिए जाने जाते हैं जिसके प्रकाशन के बाद उन्हें कई वर्षों तक मौत की धमकियों का सामना करना पड़ा था। ईरान के अयातुल्ला खुमैनी ने 1989 में रुश्दी के खिलाफ फतवा जारी किया था जिसमें उनकी हत्या का आह्वान किया गया था। इस फतवे के बाद रुश्दी को कई वर्षों तक छिपकर रहना पड़ा था।

हादी मतार पर हत्या के प्रयास और दूसरी डिग्री के हमले का आरोप लगाया गया है। उसने अदालत में खुद को बेगुनाह बताया है। हालांकि अभियोजकों का कहना है कि उनके पास मतार के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं जो साबित करते हैं कि उसने रुश्दी को जान से मारने के इरादे से हमला किया था।

जूरी चयन की प्रक्रिया काफी अहम होती है, क्योंकि जूरी ही यह तय करेगी कि मतार दोषी है या नहीं। दोनों पक्ष, अभियोजक और बचाव पक्ष जूरी सदस्यों से कई तरह के सवाल पूछेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जूरी निष्पक्ष और पूर्वाग्रह से मुक्त है। जूरी सदस्यों का चयन कई दिनों तक चल सकता है।

इस मुकदमे पर दुनिया भर की नजरें टिकी हुई हैं। यह मामला न केवल सलमान रुश्दी की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़ा है बल्कि यह कला और साहित्य पर हिंसा के बढ़ते खतरे को भी उजागर करता है। कई लेखकों और बुद्धिजीवियों ने इस हमले की कड़ी निंदा की है और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया है।

इस मुकदमे के दौरान कई अहम गवाहियां पेश की जाएंगी। यह उम्मीद की जा रही है कि सलमान रुश्दी भी अदालत में गवाही देंगे। उनकी गवाही इस मामले में बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। इसके अलावा हमले के समय मौजूद अन्य प्रत्यक्षदर्शियों के भी गवाही देने की संभावना है।यह मुकदमा कई हफ्तों तक चल सकता है। जूरी को यह तय करने में भी काफी समय लग सकता है कि मतार दोषी है या नहीं। अगर मतार दोषी पाया जाता है तो उसे कई साल जेल की सजा हो सकती है।

इस मामले का फैसला जो भी हो यह निश्चित है कि यह घटना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लेखकों की सुरक्षा के बारे में एक नई बहस को जन्म देगी। यह मामला यह भी याद दिलाता है कि आज भी दुनिया में ऐसे लोग हैं जो अपनी बातों से असहमत होने वालों को चुप कराने के लिए हिंसा का सहारा लेने से नहीं हिचकिचाते।

इस मुकदमे के नतीजे का इंतजार न केवल सलमान रुश्दी के प्रशंसक, बल्कि पूरी दुनिया कर रही है। यह देखना होगा कि अदालत इस मामले में क्या फैसला सुनाती है और क्या यह फैसला भविष्य में लेखकों और कलाकारों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने में मददगार साबित होता है या नहीं। यह मुकदमा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है और इसका परिणाम आने वाले कई वर्षों तक कला और साहित्य की दुनिया को प्रभावित कर सकता है।

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