Dastak Hindustan

प्रयागराज में महाकुंभ 2025 के उपलक्ष्य में रामनाथ कोविंद और साध्वी भगवती सरस्वती ने किया हवन

प्रयागराज (उत्तर प्रदेश):- महाकुंभ 2025 के प्रारंभ के अवसर पर प्रयागराज में धार्मिक आस्था और संस्कृति की एक और गहरी छाप देखने को मिली। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद उनकी पत्नी सविता कोविंद स्वामी चिदानंद सरस्वती (परमार्थ निकेतन आश्रम, ऋषिकेश के आध्यात्मिक प्रमुख) और साध्वी भगवती सरस्वती ने मिलकर एक विशेष हवन आयोजित किया। यह आयोजन शहर के प्रमुख घाटों में से एक पर हुआ जहां श्रद्धालुओं और साधकों ने धार्मिक अनुष्ठान के बीच बारीकी से भाग लिया।

महाकुंभ के महत्व को देखते हुए इस बार विशेष ध्यान दिया गया है कि अधिक से अधिक लोग इस धार्मिक अवसर का लाभ उठाएं और देशभर से भक्तों की भारी संख्या में भागीदारी सुनिश्चित हो सके। स्वामी चिदानंद सरस्वती और साध्वी भगवती सरस्वती ने अपने आध्यात्मिक संदेशों के माध्यम से इस महाकुंभ के अद्वितीय धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व को बताया। उनका कहना था कि महाकुंभ जैसे आयोजनों से दुनिया में शांति, समृद्धि और सच्चे मानवता का संदेश फैलता है।

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उनकी पत्नी सविता कोविंद ने भी इस अवसर पर अपनी उपस्थिति से इसे और अधिक ऐतिहासिक बना दिया। उन्होंने हवन में आहुति दी और धर्म एवं संस्कृति के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की। हवन के दौरान वहां उपस्थित श्रद्धालुओं ने गंगा नदी में आस्था डुबकी लगाई और कुंभ स्नान के महत्व को समझा। महाकुंभ के समय स्नान करना विशेष रूप से पुण्य प्राप्ति के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है और इस समय पूरी दुनिया के लोग यहाँ अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए आते हैं।

कुंभ मेले का आयोजन हर बार एक नई ऊर्जा और उमंग के साथ होता है। यह मेला न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। साल 2025 का महाकुंभ जिसे ‘कुंभ का युग’ कहा जा सकता है इस बार विशेष महत्व रखता है क्योंकि इसके आयोजन के साथ ही भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता को नए सिरे से बढ़ावा मिलेगा।

स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कुंभ मेला की आयोजन समिति को आशीर्वाद देते हुए कहा कि इस बार के महाकुंभ में न केवल धार्मिक अनुष्ठान और स्नान की प्रक्रिया होगी बल्कि लोगों को पर्यावरण और जल संरक्षण के विषय में भी जागरूक किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता की जड़ें जल, पृथ्वी और आकाश में गहरी हैं और कुंभ के माध्यम से हमें इन तत्वों के प्रति अपने कर्तव्यों को समझना चाहिए।

साध्वी भगवती सरस्वती ने भी अपने संबोधन में कहा कि महाकुंभ केवल धार्मिक अनुष्ठान का समय नहीं है बल्कि यह आत्मा की शुद्धि, मानवता के प्रति समर्पण और विश्व में शांति लाने का एक अवसर है। उन्होंने श्रद्धालुओं से अपील की कि वे इस अवसर का पूरा लाभ उठाएं और अपने जीवन में सत्कर्मों को अपनाएं।

महाकुंभ 2025 के आयोजन को लेकर प्रशासन ने भी खास तैयारियां की हैं। सभी घाटों और प्रमुख क्षेत्रों की सफाई, सुरक्षा व्यवस्था और अन्य सुविधाओं का ध्यान रखा गया है ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े। कुंभ मेला हर बार एक ऐतिहासिक घटना बनता है और इस बार भी यह एक नया अध्याय जोड़ने के लिए तैयार है।

प्रयागराज के इस धार्मिक आयोजन में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु शामिल होंगे। उम्मीद की जा रही है कि यह महाकुंभ 2025 और भी अधिक भव्य, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से समृद्ध होगा।

शेयर करे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *