नई दिल्ली:- संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सड़क हादसों के बढ़ते आंकड़ों पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने लोकसभा में जानकारी दी कि भारत में हर साल सड़क दुर्घटनाओं के कारण 1.78 लाख लोगों की मौत होती है। इस स्थिति को लेकर उन्होंने कहा जब मैं सड़क हादसों पर चर्चा करने वाले अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लेता हूं तो मुझे शर्म महसूस होती है और अपना चेहरा छिपाना पड़ता है।
नितिन गडकरी ने विस्तार से बताया कि उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं के कारण सबसे अधिक मौतें हुई हैं जिनकी संख्या 23,000 से अधिक है। इसके बाद तमिलनाडु (18,000+), महाराष्ट्र (15,000+), और मध्य प्रदेश (13,000+) का स्थान है।शहरों की बात करें तो दिल्ली में सड़क हादसों में सालाना 1,400 से अधिक मौतें होती हैं जबकि बेंगलुरु में यह संख्या 915 है।
सड़क सुरक्षा पर गडकरी के सुझाव
गडकरी ने बताया कि भारत में सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा ड्राइविंग लाइसेंस प्रक्रिया को सख्त करने की जरूरत है।
• लेन अनुशासन का पालन न करना ट्रक हादसों का प्रमुख कारण है।
• सड़क सुरक्षा को लेकर जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए।
• उन्होंने सांसदों से आग्रह किया कि वे अपने क्षेत्र में सड़क सुरक्षा के लिए स्कूलों और अन्य संस्थानों में कार्यक्रम आयोजित करें।
• सही समय पर इलाज न मिलने से होती हैं मौतें
गडकरी ने बताया कि सड़क हादसों में मारे जाने वाले 30% लोगों की मौत समय पर जीवन रक्षक उपचार न मिलने के कारण होती है। उन्होंने बेहतर आपातकालीन सेवाओं की जरूरत पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि सड़क परिवहन मंत्री बनने के बाद उन्होंने हादसों में 50% कमी लाने का लक्ष्य रखा था लेकिन दुर्घटनाओं की संख्या में कमी की बजाय वृद्धि ही हुई है। इस संबंध में उन्होंने स्वीकार किया मुझे यह कहते हुए शर्म नहीं है कि हम लक्ष्य हासिल नहीं कर पाए।
गडकरी ने संसद में कहा कि सभी को मिलकर सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा कि सड़क हादसों पर काबू पाने के लिए ड्राइविंग शिक्षा, सख्त कानून, और बेहतर सड़क निर्माण पर ध्यान देना जरूरी है।