लखनऊ (उत्तर प्रदेश):- उत्तर प्रदेश के बालागंज में स्थित ईवा अस्पताल की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। अस्पताल पर इलाज में लापरवाही के आरोप लगने के बाद सीएमओ ने इस पर कड़ी कार्रवाई की है। सीएमओ डॉ. एनबी सिंह ने अस्पताल का संचालन तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया है। सीएमओ ने अस्पताल के सर्जन से बयान लेने के लिए उन्हें कार्यालय बुलाया था लेकिन सर्जन अब तक सीएमओ कार्यालय नहीं पहुंचे हैं। इस पर सीएमओ के निर्देश पर जांच समिति ने अस्पताल में लगे सीसीटीवी कैमरे का रिकॉर्ड पेन ड्राइव में लेने का आदेश दिया है, ताकि मामले की सही जांच की जा सके।
यह मामला एक नेपाली बच्चे की मौत से जुड़ा है जिसे सड़क हादसे में चोटें आई थीं। नेपाल के कंचनपुर निवासी टेक कुंवर ने अपने आठ वर्षीय बेटे को दलाल के माध्यम से बालागंज स्थित ईवा अस्पताल में भर्ती कराया था। जहां इलाज में लापरवाही के चलते बच्चे की मौत हो गई। इलाज के दौरान बच्चे के साथ हुई लापरवाही को लेकर पिता टेक कुंवर ने सीएमओ से शिकायत की थी। अस्पताल में बच्चे का इलाज आर्थोपेडिक के बजाय एक प्लास्टिक सर्जन ने किया था जो कि तय मेडिकल प्रैक्टिस के खिलाफ था। जांच में यह भी सामने आया कि अस्पताल में मरीज का इलाज एक अन्य विधा के डॉक्टर द्वारा किया जा रहा था जो एमबीबीएस नहीं थे।
सीएमओ की टीम ने इन खामियों को देखते हुए अस्पताल के संचालन पर रोक लगाने की सिफारिश की थी जिसे तत्काल प्रभाव से लागू किया गया। इसके साथ ही मरीजों को भर्ती करने की अनुमति भी निलंबित कर दी गई है।
इस मामले में चिकित्सा प्रतिपूर्ति को लेकर भी एक और गंभीर आरोप सामने आया है। सीएमओ कार्यालय में काम करने वाले एक बाबू पर आरोप है कि वह चिकित्सा प्रतिपूर्ति के बिल पास करने के लिए 10 फीसदी घूस की मांग करता था। इस बाबू के खिलाफ सीएमओ ने मौखिक जांच का आदेश दिया था लेकिन अब तक लिखित में कोई कार्रवाई नहीं हुई है। कृषि विभाग से सेवानिवृत्त शरद कुमार श्रीवास्तव ने सीएमओ कार्यालय में इस बाबू की करतूतों के बारे में जानकारी दी और सीएमओ को शिकायत की कि इलाज के लिए प्रतिपूर्ति राशि के बिल को स्वीकृत नहीं किया जा रहा था।
इस मामले में सीएमओ डॉ. एनबी सिंह ने बताया कि बाबू से जवाब तलब किया गया है और मामले की जांच जारी है।