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WFI और खेल मंत्रालय में ठनी, कुश्ती महासंघ ने UWW से कर दी शिकायत

नई दिल्ली :- भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) द्वारा हाल में उठाए गए कदमों से भारतीय कुश्ती में हलचल मच गई है। WFI ने यह निर्णय लिया है कि भारतीय टीम को इस वर्ष की विश्व कुश्ती चैंपियनशिप से बाहर कर दिया जाएगा। यह खबर तब आई जब WFI ने विश्व संचालन संस्था UWW को सूचित किया कि भारतीय खेल मंत्रालय उसकी स्वायत्तता में हस्तक्षेप कर रहा है। इस निर्णय ने न केवल खिलाड़ियों को बल्कि खेल प्रशंसकों को भी प्रभावित किया है, जो इस महत्वपूर्ण टूर्नामेंट में भारतीय पहलवानों के प्रदर्शन की उम्मीद कर रहे थे।

WFI और खेल मंत्रालय के बीच विवाद का कारण

WFI और खेल मंत्रालय के बीच विवाद का मुख्य कारण स्वायत्तता का सवाल है। WFI का कहना है कि खेल मंत्रालय उसके फैसलों में अनावश्यक हस्तक्षेप कर रहा है, जो उसकी स्वायत्तता का उल्लंघन है। WFI के अनुसार, यह हस्तक्षेप उसके द्वारा संचालित किए जा रहे आयोजनों और खिलाड़ियों के चयन प्रक्रिया में बाधा डालता है। दूसरी ओर, खेल मंत्रालय का कहना है कि वह केवल खेल के प्रति ईमानदार रहकर इसकी पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रहा है। मंत्रालय का मानना है कि WFI के कुछ फैसलों पर पुनर्विचार करना आवश्यक है ताकि खिलाड़ियों के हितों की रक्षा हो सके।

भारतीय खिलाड़ियों के लिए इसका प्रभाव

इस निर्णय का भारतीय पहलवानों पर गहरा प्रभाव पड़ा है। विश्व कुश्ती चैंपियनशिप एक महत्वपूर्ण टूर्नामेंट है जो पहलवानों को अपने कौशल का प्रदर्शन करने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने का अवसर प्रदान करता है। चैंपियनशिप में भागीदारी से पहलवानों को ओलंपिक जैसे बड़े आयोजनों के लिए अनुभव और आत्मविश्वास मिलता है। भारतीय टीम की अनुपस्थिति का मतलब है कि भारतीय पहलवान अब इस साल विश्व चैंपियनशिप में प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगे, जो उनके करियर पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।

UWW की प्रतिक्रिया

विश्व संचालन संस्था UWW ने इस मामले पर चिंता व्यक्त की है। UWW का मानना है कि खेल संगठनों की स्वायत्तता को बनाए रखना आवश्यक है, ताकि वे स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकें और खिलाड़ियों के लिए सर्वश्रेष्ठ अवसर उपलब्ध करा सकें। UWW ने यह भी संकेत दिया है कि यदि खेल मंत्रालय और WFI के बीच के विवाद को हल नहीं किया गया, तो इसका भविष्य में भारतीय कुश्ती पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इस मुद्दे पर UWW द्वारा जल्द ही कोई निर्णय लिया जा सकता है जो भारतीय कुश्ती समुदाय के लिए महत्वपूर्ण होगा।

खिलाड़ियों की प्रतिक्रिया

कई भारतीय पहलवानों ने इस फैसले पर निराशा जताई है। वे विश्व चैंपियनशिप की तैयारी में महीनों से जुटे थे, और इस तरह के फैसले से उनके मनोबल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। कई खिलाड़ी और कोच इस निर्णय से नाखुश हैं, क्योंकि यह उनके प्रशिक्षण और प्रयासों को निष्फल कर सकता है। खिलाड़ियों का कहना है कि वे केवल अपने खेल पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं और राजनीति या संगठनात्मक विवादों से दूर रहना चाहते हैं।

भारतीय कुश्ती पर संभावित प्रभाव

यह विवाद भारतीय कुश्ती की छवि पर भी सवाल खड़ा करता है। WFI और खेल मंत्रालय के बीच इस तरह के विवाद से खिलाड़ियों का मनोबल गिर सकता है और नई पीढ़ी के खिलाड़ियों के लिए यह संदेश गलत हो सकता है। यदि भारतीय कुश्ती को विश्व स्तर पर अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखनी है, तो इस तरह के विवादों का समाधान शीघ्र होना आवश्यक है। यह न केवल खिलाड़ियों के हित में है बल्कि देश के खेल जगत की प्रतिष्ठा के लिए भी आवश्यक है।

समाधान के संभावित उपाय

इस समस्या का समाधान खोजने के लिए कुछ उपाय सुझाए जा सकते हैं। पहला, WFI और खेल मंत्रालय के बीच संवाद बढ़ाया जाना चाहिए ताकि विवाद का समाधान निकाला जा सके। दूसरा, एक स्वतंत्र निकाय का गठन किया जा सकता है जो खेल संगठनों की स्वायत्तता को सुनिश्चित करे और उनके कार्यों में हस्तक्षेप न होने दे। तीसरा, खेल संगठनों और मंत्रालयों को अपनी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता बनाए रखनी चाहिए ताकि खिलाड़ियों और प्रशंसकों के बीच विश्वास बना रहे।

भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) द्वारा विश्व चैंपियनशिप से भारतीय टीम को हटाने का निर्णय एक गंभीर कदम है, जो खिलाड़ियों के भविष्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। WFI और खेल मंत्रालय के बीच चल रहे विवाद से भारतीय कुश्ती की प्रतिष्ठा पर असर पड़ सकता है। यह समय है कि खेल मंत्रालय और WFI दोनों इस विवाद का हल निकालें ताकि भारतीय पहलवान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर सकें और खेल की विश्वसनीयता बनी रहे।

 

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