कांग्रेस में सुधारों की पैरवी करने वाले 23 नेताओं के समूह का हिस्सा गुलाम नबी आजाद ने न्यूज 18 को दिए इंटरव्यू में कहा ‘जब राजीव जी ने राजनीति में कदम रखा था तब इंदिरा गांधी ने हम दोनों को बुलाया और राजीव को कहा कि गुलाम नबी आजाद मुझे भी न कह सकते हैं लेकिन उस न का मतलब अवज्ञा या अनादर नहीं यह पार्टी के लिए अच्छा है। आज कोई भी न सुनने को तैयार नहीं है। न कहने की वजह से आज आप की अहमियत नहीं रह जाती है। उन्होंने आगे कहा हम पार्टी के समावेशी सुधार के लिए सुधार देते हैं। हम में से कोई भी पार्टी में पद नहीं चाहता। हम सब बस यही चाहते हैं कि पार्टी के प्रदर्शन में सुधार हो यह समय ऐसा है जब सत्ताधारी पार्टी मजबूत है और विपक्ष कमजोर। एक कमजोर विपक्ष सत्ताधारी पार्टी को फायदा पहुंचाता है। हाल ही में कांग्रेस के अगले लोकसभा चुनावों में 300 सीट न जीत पाने का दावा करने को लेकर जब आजाद से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा अब तक पार्टी को सिर्फ एक बार तब बड़ा बहुमत मिला जब इंदिरा नेतृत्व कर रही थीं। खुद को पक्का कांग्रेसी बताने वाले आजाद ने अपनी नई पार्टी बनाने की अटकलों को खारिज किया। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि राजनीति में कब क्या हो जाए यह कोई नहीं जानता।

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