नई दिल्ली:- हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स (एचएएल) एक महात्वाकांक्षी परियोजना के तहत सुखोई एसयू-30 लड़ाकू विमानों का निर्यात के लिए उत्पादन करने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए राज्य के स्वामित्व वाली एचएएल विभिन्न वैश्विक रक्षा बलों के साथ बातचीत भी कर रही है।
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक एचएएल अपनी नासिक की यूनिट में इन लड़ाकू विमानों के निर्माण के लिए सक्रिय बातचीत कर रहा है। सुखोई जेट का मूल निर्माता रूस दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करते हुए इस प्रयास का समर्थन करने के लिए सहमत हुआ है।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया मॉस्को यात्रा के दौरान कई अहम मुद्दों पर सहमति बनी और दोनों देशों ने मेक-इन-इंडिया कार्यक्रम के तहत रूसी मूल के रक्षा उपकरणों के रखरखाव और उत्पादन के लिए संयुक्त उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्धता जताई है। इस पहल का उद्देश्य भारतीय सशस्त्र बलों की जरूरतों को पूरा करना और बाद में मित्र देशों को निर्यात की सुविधा प्रदान करना है। अगर ये प्रयास जमीन पर सफल होता है तो भारत की रक्षा निर्यात रणनीति में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
वर्तमान में सुखोई-30एमकेआई लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना की रीढ़ हैं और लगभग 260 विमान सेवा में हैं। भारत के अलावा दुनिया के कई देश इस फाइटर जेट का इस्तेमाल करते हैं। इस लड़ाकू विमान की सबसे खास बात ये है कि इसे किसी भी देश की भौगोलिक परिस्थितियों और जरूरत के हिसाब से ढाला जा सकता है। भारत के लिए विशेष रूप से एमकेआई वर्जन बना है। ऐसे ही अन्य देशों के लिए अलग वर्जन हैं।
एचएएल का नासिक डिवीजन पहले ही सुखोई-30एमकेआई लड़ाकू विमानों की ओवरहालिंग करके अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर चुका है। हाल ही में यहां भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के सौवें Su-30MKI को ओवरहालिंग के बाद वायु सेना को सौंपा गया। आपूर्ति श्रृंखला चुनौतियों के बावजूद , एचएएल के नासिक डिवीजन ने प्रति वर्ष 20 सुखोई-30एमकेआई विमानों को ओवरहाल करने की क्षमता हासिल कर ली है।
एचएएल, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के साथ मिलकर 60,000 करोड़ रुपये के खर्च से Su-30MKI लड़ाकू जेट बेड़े को उन्नत बनाने में जुटा हुआ है। रक्षा मंत्रालय द्वारा स्वीकृत इस परियोजना का उद्देश्य नए रडार, मिशन नियंत्रण प्रणाली, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं और उन्नत हथियार प्रणालियों के एकीकरण के साथ विमान की क्षमताओं को बढ़ाना है।
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