नई दिल्ली:- जीनोम विज्ञान के जरिये भारतीय वैज्ञानिकों ने स्वस्थ लोगों में भविष्य की बीमारियों की पहचान करने में सफलता हासिल की है। करीब एक हजार से ज्यादा लोगों के जीनोम अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों ने दावा किया कि देश में 90 लाख से अधिक लोगों को अनुवांशिक बीमारी का खतरा है। इसे हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया (एफएच) कहते हैं। यह वंशानुगत बदलावों के चलते कोलेस्ट्राल को बढ़ा देती है। इसलिए इसे पुश्तैनी या खानदानी विकार भी कहते हैं।
सीएसआईआर-इंस्टिट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) के शोधकर्ताओं ने 1029 स्वस्थ लोगों के जीनोम पर अध्ययन किया है, जिसे मेडिकल जर्नल एल्सेवियर में प्रकाशित किया है। अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने 1,029 लोगों में पांच करोड़ से भी ज्यादा जीनोम वैरिएंट की पहचान की है। दरअसल, हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया (एफएच) बीमारी मरीज के रक्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा देती है, जो हृदय रोग और दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। यहां तक कि अगर यह विकार जन्म से मौजूद है, तब भी वयस्कता तक लक्षण दिखने में देर हो सकती है। आईजीआईबी के वरिष्ठ वैज्ञानिक श्रीधर शिवसुब्बू ने बताया कि एफएच भारतीय आबादी में अत्यधिक प्रचलित बीमारी है और करीब 146 में से एक व्यक्ति इससे पीड़ित है। इस अध्ययन में पता चला है कि भारत में 90 लाख से अधिक लोगों को एफएच विकसित होने का खतरा है। इसे प्रभावी ढंग से रोकने करने के लिए उचित उपचार विकल्पों पर विचार करना आवश्यक है।