नई दिल्ली :- हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष महीने के शुक्लपक्ष की द्वादशी तिथि को मत्स्य द्वादशी मनाई जाती है। आज यानी 23 दिसंबर मत्स्य द्वादशी मनाई जाएगी। ये व्रत जगत के पालनहार भगवान विष्णु के लिए किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु जी ने मत्स्य यानी मछली का रूप लेकर राक्षस हयग्रीव को मारा था और वेदों की रक्षा की थी। इस कारण इस तिथि पर भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की पूजा की जाती है। ये भगवान विष्णु का पहला अवतार माना जाता है। मत्स्य पुराण के मुताबिक इस दिन विष्णुजी की पूजा करने से हर तरह की परेशानियां दूर होती हैं।
मत्स्य द्वादशी पूजा विधि
सर्वप्रथम सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
इसके बाद पूजा स्थल में चार भरे हुए कलश में पुष्प डालकर स्थापित करें।
इसके उपरांत चारों कलश को तिल की खली से ढक कर इनके सामने भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
यह चारों कलश समुद्र का प्रतीक हैं, इसके बाद भगवान विष्णु की चन्दन,अक्षत,तुलसी,फूल,फल आदि से पूजा कर के घी का दीपक जलाएं।
भोग स्वरूप मिठाई चढ़ाकर इस मंत्र का जाप करें-ॐ मत्स्य रूपाय नमः
पूजा का महत्व
भगवान विष्णु के 12 अवतारों में से प्रथम अवतार मत्स्य अवतार है।जिस वजह से मत्स्य द्वादशी बहुत ही शुभ और लाभकारी मानी जाती है। इस दिन श्रद्धा पूर्वक भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से भक्तों के सभी प्रकार के संकट दूर हो जाते हैं और उनके सभी कार्य सिद्ध होते हैं।