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प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव प्रमोद कुमार मिश्रा, सिल्कयारा सुरंग में चल रहे बचाव प्रयासों की कर रहे निगरानी

उत्तरकाशी(उत्तराखंड):- प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव प्रमोद कुमार मिश्रा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने ऑपरेशन के 16वें दिन उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए चल रहे प्रयासों का जायजा लिया।

केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला और उत्तराखंड के मुख्य सचिव एसएस संधू ने प्रमोद कुमार मिश्रा के साथ सुरंग के अंदर काम का निरीक्षण किया। प्रमुख सचिव ने टनल के अंदर फंसे श्रमिकों के लिए भेजी गई खाद्य सामग्री के बारे में भी जानकारी ली। पीके मिश्रा ने फंसे मजदूरों और उनके परिजनों से भी बात की।

माइक्रो टनलिंग विशेषज्ञ क्रिस कूपर ने आज पहले कहा कि बरमा मशीन का सारा मलबा हटा दिया गया है और फंसे हुए मजदूरों तक पहुंचने के लिए मैनुअल ड्रिलिंग कुछ घंटों में शुरू हो जाएगी।

सुरंग की क्षैतिज ड्रिलिंग के लिए इस्तेमाल की जा रही बरमा मशीन से पाइप के अंदर फंसी हुई पाइप को सोमवार सुबह प्लाज़्मा कटर का उपयोग करके काट दिया गया और हटा दिया गया।

पूर्व सेना इंजीनियर-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने मैनुअल विधि की पुष्टि करते हुए एएनआई को बताया कि फंसे हुए श्रमिकों तक पहुंचने के लिए मैनुअल विधि के अलावा कोई अन्य रास्ता नहीं बचा है। सिंह ने कहा कि वह तकनीकी जानकारी प्रदान करने और चल रहे बचाव कार्यों में सहायता करने के लिए साइट पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि बचाव प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए सभी मोर्चों पर प्रयास किए जा रहे हैं।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, बचाव में तेजी लाने के लिए पाइप के अंदर मलबे को हटाने के लिए मैन्युअल ड्रिलिंग के माध्यम से रैट होल खनन तकनीक का उपयोग किया जाएगा। रैट होल खनन तकनीक का उपयोग आमतौर पर कोयला खनन में किया जाता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां कठिन भूभाग है।

मैन्युअल ड्रिलिंग कार्य करने के लिए 6 विशेषज्ञों की एक टीम साइट पर पहुंच गई है और 11 लोगों की एक टीम सुरंग के 800 मिमी पाइप के अंदर जाकर मैन्युअल रूप से मलबा हटाएगी। टीम में भारतीय सेना के मद्रास इंजीनियरिंग ग्रुप के इंजीनियरों के साथ-साथ नागरिक भी शामिल हैं ।

सीमा सड़क संगठन और अन्य एजेंसियों के सहयोग से सुरंग के दूसरे मुहाने यानी बड़कोट की तरफ से भी प्रवेश के प्रयास चल रहे हैं। बीआरओ की देखरेख में चार विस्फोट किए गए और अब तक 500 मीटर में से केवल 10 मीटर ही कवर किए जा सके हैं।

इसके अलावा बचावकर्मी सुरंग के बाईं ओर सिल्क्यारा सुरंग के क्षैतिज लेकिन लंबवत एक छोटी सुरंग बनाने की योजना बना रहे हैं, जिसका काम एसजेवीएन द्वारा किया जाएगा। उत्तरकाशी 12 नवंबर को सुरंग का एक हिस्सा धंसने के बाद सुरंग के सिल्कयारा किनारे पर 60 मीटर के हिस्से में गिरे मलबे के कारण 41 मजदूर निर्माणाधीन ढांचे के अंदर फंस गए।

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