नई दिल्ली:- शादी एक महत्वपूर्ण जीवन निर्णय है और इसका असर जीवन के विभिन्न पहलुओं पर पड़ता है। भारत में लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र 18 वर्ष और लड़कों की 21 वर्ष निर्धारित की गई है। लेकिन वर्तमान समय में कई युवा अपने करियर को प्राथमिकता देते हुए 30 वर्ष के बाद शादी करने का निर्णय लेते हैं। इस परिप्रेक्ष्य में शादी की उम्र में देरी के फायदे और नुकसान को समझना जरूरी है।
शादी में देरी के नुकसान
प्रजनन क्षमता पर असर:
महिलाओं के लिए 30 वर्ष के बाद गर्भधारण की संभावना में कमी आ सकती है। बढ़ती उम्र के साथ अंडों की गुणवत्ता और संख्या में गिरावट आती है जिससे गर्भधारण में कठिनाई हो सकती है। इसके अतिरिक्त 35 वर्ष के बाद गर्भधारण में और भी अधिक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। पुरुषों में भी उम्र बढ़ने के साथ शुक्राणु की गुणवत्ता पर असर पड़ता है हालांकि यह प्रभाव महिला की तुलना में थोड़ा धीमा होता है।
मानसिक स्थिति और आदतों में स्थिरता:
जब लोग 30 के आसपास पहुंचते हैं, तो उनकी आदतें और मानसिक स्थिति अधिक स्थिर हो जाती है। यह शादी के बाद सामंजस्य बैठाने में मुश्किलें पैदा कर सकता है। किसी नए व्यक्ति के साथ सामंजस्य बैठाने के लिए समय और समर्पण की जरूरत होती है लेकिन जब आप पहले से ही स्थिर मानसिकता में होते हैं तो बदलाव को स्वीकार करना कठिन हो सकता है।
शारीरिक निकटता और यौन जीवन:
देर से शादी करने से शारीरिक निकटता के मामले में भी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। उम्र बढ़ने के साथ शारीरिक ऊर्जा में कमी आ सकती है जो रिश्ते में खटास ला सकती है। छोटे-छोटे मुद्दों पर झगड़े बढ़ सकते हैं और पार्टनर एक-दूसरे की इच्छाओं को समझने में असफल हो सकते हैं।
शादी में देरी के फायदे
आर्थिक स्थिरता:
30 वर्ष के बाद लोग आमतौर पर अपने करियर में स्थिर हो जाते हैं और आर्थिक रूप से अधिक सक्षम होते हैं। इससे शादी के दौरान आर्थिक दबाव कम हो सकता है और जीवन को अधिक आरामदायक बनाया जा सकता है। इस उम्र तक लोग बेहतर निर्णय लेने में सक्षम होते हैं और अपनी ज़िंदगी को संतुलित तरीके से जीने के लिए तैयार रहते हैं।
परिपक्वता और समझदारी:
देर से शादी करने वाले लोग अधिक परिपक्व होते हैं और रिश्तों को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं। इस उम्र में लोग खुद को और अपने साथी को समझने में सक्षम होते हैं जिससे रिश्तों में समस्या उत्पन्न होने पर समाधान आसान होता है। अनुभव और समझ के साथ शादी में सामंजस्य बनाए रखना सरल हो जाता है।
स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता:
30 साल की उम्र के बाद लोग अपने जीवन के बारे में अधिक आत्मनिर्भर होते हैं और उन्होंने अपनी पसंद, नापसंद, आदतें और जीवनशैली को पहले से ही स्थापित कर लिया होता है। इसका मतलब यह है कि वे शादी से पहले अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का आनंद ले सकते हैं, जिससे रिश्ते में अधिक स्वतंत्रता और सम्मान की भावना पैदा होती है।
इस प्रकार शादी के लिए सही उम्र का निर्णय व्यक्तिगत होता है और इसके फायदे और नुकसान दोनों होते हैं। 30 वर्ष के बाद शादी करने के निर्णय को केवल एक व्यक्ति की निजी प्राथमिकताओं जीवन के लक्ष्य और स्थिति के आधार पर ही लिया जाना चाहिए।