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गीता जयंती पर यज्ञ की महिमा पर हुई चर्चा, डॉक्टर वी. सिंह ने दिए महत्वपूर्ण विचार

सोनभद्र (उत्तर प्रदेश):- बुधवार को राबर्ट्सगंज नगर स्थित साईं अस्पताल के प्रांगण में गीता जयंती समारोह का आयोजन हुआ जिसमें गीता में वर्णित यज्ञ विषय पर विद्वतजनों ने गहरी चर्चा की। इस भव्य आयोजन का आयोजन गीता जयंती समारोह समिति सोनभद्र द्वारा किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन से हुई। मुख्य वक्ता और गीता जयंती समारोह के संयोजक डॉक्टर वी. सिंह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि गीता के अनुसार यज्ञ एक यौगिक क्रिया है जो किसी तत्वदर्शी महापुरुष के सानिध्य में साधक के हृदय में मन और इंद्रियों के संयम के द्वारा संपन्न होता है। यह प्रक्रिया शुद्ध साधना पर आधारित है।

उन्होंने गीता के एक श्लोक का उद्धरण करते हुए कहा यज्ञशिष्टामृतभुजो यान्ति ब्रह्म सनातनम जिसका अर्थ है कि यज्ञ के द्वारा प्राप्त अमृत, ज्ञान रूपी है और जो इस ज्ञानामृत को भोगते हैं वे शाश्वत, सनातन परब्रह्म की प्राप्ति करते हैं। इसके अलावा डॉक्टर कुसुमाकर ने यज्ञ की प्रक्रिया को कर्म से जोड़ते हुए कहा कि गीता के अनुसार यज्ञ ही कर्म है जो किसी व्यक्ति को परम नैष्कर्म की स्थिति में पहुंचाता है। पारसनाथ मिश्र ने यज्ञ को आध्यात्मिक प्रक्रिया बताया और बालेश्वर यादव ने गीता के आलोक में यज्ञ की विस्तृत व्याख्या की।

कार्यक्रम में पांच विभूतियों को गीता के प्रचार-प्रसार में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वालों में वरिष्ठ अधिवक्ता आत्म प्रकाश त्रिपाठी प्रधानाध्यापक प्रदीप सिंह पटेल, अध्यापक नरेंद्र प्रताप सिंह, रमेश थरड और मनीष कुमार श्रीवास्तव शामिल हैं। इन्हें शाल ओढ़ाकर और सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर कई प्रमुख व्यक्ति भी उपस्थित रहे जिनमें उमाकांत मिश्रा, आशुतोष कुमार, रमेश प्रताप सिंह, राणाप्रताप सिंह, नरेंद्र पांडेय, विमल कुमार चौबे, दीपक कुमार केसरवानी, गणेश पाठक, चंद्रकांत तिवारी आदि शामिल थे। इस आयोजन के माध्यम से गीता के महत्व और यज्ञ की दिव्यता पर गहरी समझ प्रदान की गई जिससे उपस्थित लोगों को शाश्वत ब्रह्म की प्राप्ति का मार्ग दिखाया गया।

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