नई दिल्ली :- कोरोना इस सदी का सबसे खतरनाक वायरस साबित हो रहा है जो हर 6-8 महीनों में अपना रूप बदलता है। कोविड-19 को आए हुए लगभग तीन साल से ज्यादा का समय हो चुका है लेकिन समय के साथ इसके नए-नए वेरिएंट लोगों की जान को जोखिम में डाल रहे हैं। तीन साल में अभी तक कोविड-19 देश और दुनिया के लोगों के बीच मौजूद है। इसके नए-नए वैरिएंट आ रहे हैं जिनकी गंभीरता,संक्रमण फैलाने की दर,गंभीरता अलग-अलग है। हाल ही में वैज्ञानिकों ने कोविड के एक नए वेरिएंट की खोज की है जिसका नाम XEC है। इस नए वैरिएंट ने लोगों में तनाव बढ़ा दिया है। अब सवाल ये उठता है कि आखिर ये वायरस है क्या और इससे बिना डरे कैसे जान को सुरक्षित रखा जा सकता है।
कोरोना का XEC variant कोविड के दो सब वैरिएंट KS.1.1 और KP.3.3 के संयोग से बना है। ये दोनों सब वैरिएंट पहले से ही लोगों की चिंता का कारण बने हैं। इन दोनों के मिलने से नए वेरिएंट का जन्म होना ज्यादा खतरनाक हो सकता है। एक्सपर्ट के मुताबिक आने वाले कुछ महीनों में इस नए वेरिएंट के तेजी से फैलने के आसार है। ये वेरिएंट कोविड की नई लहर ला सकता है जो लोगों की जान के लिए खतरा है।
कहां-कहां फैल रहा है?
यह नया वैरिएंट XEC दुनिया भर में लोगों को परेशान कर रहा है। एक रिसर्च के मुताबिक अमेरिका के 12 राज्यों और 15 देशों में इस वैरिएंट के 95 मरीज सामने आए हैं। ये वायरस यूरोप,अमेरिका और एशिया के लगभग 27 देशों में तेजी से फैल रहा है। माना जा रहा है कि ये वैरिएंट आने वाले दिनों में ओमिक्रॉन की तरह परेशान कर सकता है।
अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के मुताबिक ओमिक्रॉन फैमिली का KP.3.1.1 स्ट्रेन लोगों को ज्यादा परेशान कर रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जिस तरह से XEC वैरिएंट में कुछ परिवर्तन हो रहे हैं उससे ये लोगों को सर्दी में परेशान कर सकता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इस वैरिएंट की रोकथाम के लिए वैक्सीन काफी है लेकिन फिर भी इससे बचाव जरूरी है।
लक्षण
रिसर्च के मुताबिक इस वायरस के लक्षणों में तेज बुखार आना, सर्दी लगना,शरीर में दर्द,थकान,खांसी,गले में खराश और सांस लेने में तकलीफ जैसी परेशानियां हो सकती हैं। पहले के कोविड के लक्षणों की तरह ही सिर दर्द, उल्टी, स्वाद और सुगंध का पता नहीं चलने जैसे लक्षण भी दिखाई दे रहे हैं। इस नए वेरिएंट के लक्षण लगभग जुकाम और इंफ्लुएंजा जैसे हो सकते हैं। इस वायरस की चपेट में आने के बाद मरीज एक से दो हफ्ते में ठीक हो सकता है। कुछ लोगों को ठीक होने में ज्यादा समय भी लग सकता है।