विनायक चतु्र्थी :-हर महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतु्र्थी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 12 अप्रैल को मनाया जा रहा है। आज विनायक चतुर्थी पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 5 मिनट से दोपहर 1 बजकर 11 मिनट तक रहेगा।
तो वहीं चैत्र शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 11 अप्रैल की दोपहर 3 बजकर 3 मिनट से 12 अप्रैल की दोपहर 1 बजकर 11 मिनट तक रहेगी। मान्यता है जो व्यक्ति सच्चे मन से विनायक चतुर्थी का व्रत रखता है उसकी सारी मनोकामनाएं पू्र्ण हो जाती है। अब जानिए विनायक चतुर्थी की पावन कथा।
Vinayak Chaturthi Vrat Katha (विनायक चतुर्थी व्रत कथा)
शिव पुराण के अनुसार शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इसलिए ही इस तिथि पर विनायक चतुर्थी यानी गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। मान्यताओं अनुसार पार्वती माता ने भगवान गणेश को पुत्र रूप में पाने के लिए 12 वर्षों तक कठिन तपस्या एवं साधना की थी। जिसके फलस्वरूप ही शुक्ल पक्ष चतुर्दशी के दिन उन्हें भगवान गणेश पुत्र रूप में प्राप्त हुए। शिव पुराण के अनुसार एक बार माता पार्वती ने शरीर का मैल हटाने के लिए हल्दी का उबटन लगाया और जब माता पार्वती ने उस उबटन को हटाया तो उन्होंने अपने शरीर की मैल से एक पुतला बनाया और फिर उसमें प्राण फूंक दिये। कहते हैं इस तरह भगवान गणेश का जन्म हुआ।
Vinayak Chaturthi Puja Vidhi (विनायक चतुर्थी पूजन विधि)
इस दिन सुबह जल्दी उठकर सभी कामों से निवृत होकर स्नान करें। फिर घर या मंदिर में भगवान गणेश की पूजा करें। पूजा शुरु करते हुए भगवान गणेश के मंत्र का जाप करें। फिर पुष्प, मिठाई, धूप, चंदन, फल और पान के पत्ते से भगवान की पूजा करें। धूप दीप जलाकर विनायक चतुर्थी की कथा सुनें। पाठ हो जाने के बाद आरती कर प्रसाद बांटें। फिर शाम में दोबारा गणेश भगवान की पूजा करें और प्रसाद बांटें।
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