औरंगाबाद (महाराष्ट्र):- महाराष्ट्र के उस्मानाबाद से पुलिस ने बंधक बनाए गए 11 मजदूरों को बचा लिया है। ये सभी कुआं खोदने के काम में लगाए गए थे। इन मजदूरों को ठेकेदार ने बंधक बनाया हुआ था।
पुलिस अधिकारी ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मजदूरों से 12 घंटे तक काम लिया जाता था, जबकि इसके बदले में कोई राशि का भुगतान नहीं किया गया था। इन मजदूरों को केवल एक बार खाना दिया जाता था और ये कहीं भाग न जाएं, इसलिए उन्हें जंजीरों से बांधकर रखते थे।
पुलिस अधिकारी ने कहा कि इस मामले में अब तक दो ठेकेदारों समेत चार लोगों को अपहरण, मानव तस्करी और अन्य अपराधों के आरोप में गिरफ्तार किया है। पुलिस ने गिरफ्तार लोगों की पहचान कृष्णा शिंदे (22), संतोष जाधव (40) और रंजीत साबले (24) के रूप में की है, जो सभी भूम तहसील के निवासी हैं। उनको अदालत में पेश कर तीन दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है।
किसी तरह भागने में सफल रहे एक मजदूर ने दी थी पुलिस को सूचना
सहायक पुलिस निरीक्षक जगदीश राउत ने पीटीआई-भाषा को बताया कि ठेकेदारों ने दो-तीन महीने पहले उस्मानाबाद के ढोकी पुलिस थाना क्षेत्र के खमासवाड़ी और वखरवाड़ी गांवों में कुआं खोदने के काम के लिए मजदूरों को लगाया था। यहां मजदूरों को बंधक बनाकर रखा गया और प्रताड़ित किया गया। उन्होंने कहा कि इन मजदूरों में से एक भागने में सफल रहा और हिंगोली जिले में अपने पैतृक स्थान पर पहुंच गया, जहां उसने स्थानीय पुलिस को इस प्रताड़ना के बारे में सूचित किया।
कुएं में काम करते मिले थे मजदूर
हिंगोली पुलिस ने शनिवार को उस्मानाबाद के ढोकी में पुलिस से संपर्क किया और बताई गई जगहों पर जांच करने के लिए टीमों का गठन किया गया। जब पुलिस टीम वखरवाड़ी गांव पहुंची, तो उसने पांच मजदूरों को एक कुएँ में काम करते पाया. जब उनसे पूछताछ की गई, तो उन्होंने बताया कि उन्हें हर दिन 12 घंटे काम करने के लिए मजबूर किया जाता था और रात के समय जंजीरों से बांध दिया जाता था, ताकि वे भाग न जाएं।इन 5 मजदूरों को बचा लिया गया। इसके बाद खमासवाड़ी गांव में छह और मजदूर काम कर रहे थे और उनकी भी ऐसी ही स्थिति थी। खमासवाड़ी के छह मजदूरों को भी बाद में बचा लिया गया।
शौच तक के लिए समय नहीं देते थे, कुएं में ही करना रहने को थे मजबूर
मजदूरों ने बताया कि उन्हें दिन में सिर्फ एक बार भोजन दिया जाता है और कुएं में ही शौच के लिए मजबूर किया जाता है। बाद में, मानव मल को एक टोकरी में रख कर बाहर निकाला जाता था। मजदूरों को रोजाना सुबह करीब 7 बजे कुएं में भेजा जाता था और 12 घंटे की मेहनत के बाद बाहर निकाला जाता था। पुलिस अधिकारी ने कहा कि बचाए गए सभी 11 मजदूरों का इलाज किया गया और उन्हें घर भेजने की प्रक्रिया चल रही है। इस मामले को मानव तस्करी के नजरिए से भी देख रहे हैं। पुलिस की दो टीमें इस पर काम कर रही हैं। हमें कुछ और एजेंटों के बारे में पता चला है जो ऐसे मजदूरों को ठेकेदारों को बेच रहे हैं।