गांधी नगर (गुजरात):- ईएमडी प्रमुख डॉ मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि चक्रवात बिपरजाॅय पोरबंदर से 350 किमी, द्वारका से 290 किमी दूरी पर केंद्रभूत है।
हमारे पूर्वानुमान के मुताबिक यह 15 जून को शाम के समय तट से टकराएगा। जिसकी रफ्तार 125-135 किमी प्रति घंटा तक होगी। अरब सागर में उठा चक्रवाती तूफान बिपरजॉय तेजी के साथ गुजरात की तरफ बढ़ रहा है। माना जा रहा है कि चक्रवात बिपरजॉय कल यानी गुरुवार को गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्रों के साथ ही पाकिस्तान के तटवर्ती इलाकों से भी टकरा सकता है। भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार चक्रवात बिपरजॉय के प्रभाव के चलते 15 जून को कच्छ, देवभूमि द्वारका और जामनगर के कुछ इलाकों में तेज बारिश हो सकती है।
चक्रवात बिपरजोय को लेकर NDRF में जनरल डिप्टी चिकित्सा अधिकारी डॉ विरल चौधरी ने कहा कि हमारी कल तक 17 टीमें तैनात थीं और 2 टीमें रिज़र्व में थी।
आज उन दोनों टीमों को भी बुला लिया गया है। इन दोनों टीमों को नखत्राणा और भुज के लिए मूव किया है। लैंडफॉल से पहले हम स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर लोगों को निकालने का कार्य कर रहे हैं।
बिपरजॉय चक्रवात के मांडवी और नलिया, हॉटस्पॉट हैं। इसके लिए हमने जनता को जागरूक कर दिया है। इसके साथ ही SDRF और NDRF की एक-एक टीम तैनात की गई है जो किसी भी आपात स्थिति में बचाव अभियान चलाएगी। कच्छ में मांडवी समुद्र तट पर चक्रवात के मद्देनज़र सन्नाटा दिख रहा है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने बिपरजॉय चक्रवात को लेकर चेतावनी दी है। आईएमडी ने कहा कि आने वाले दिनो में बिपरजॉय गंभीर चक्रवाती तूफान में बदल सकता है।15 जून के आसपास इसके उत्तर की ओर बढ़ने की प्रबल संभावना है।
मौसम विज्ञान विभाग की ओर से कहा गया है कि “बिपरजॉय चक्रवात का सेंटर अरब सागर में बन रहा है। यह पोरबंदर के दक्षिण-पश्चिम में लगभग 450 किमी की दूरी पर है। अनुमान है कि यह उत्तर में बढ़ सकता है और 15 जून की दोपहर तक कच्छ के तट को पार करेगा। जिसकी रफ्तार 125-135 किमी प्रति घंटा का पूर्वानुमान लगाई गई है।
15 जून को सबसे ज्यादा खतरा
डॉ. मृत्युंजय महापात्र, मौसम विज्ञान महानिदेशक, आईएमडी ने बिपरजॉय चक्रवात से 15 जून को सबसे ज्यादा खतरा बताया जा रहा है। ऐसे में सभी लोगों को घर के अंदर और सुरक्षित स्थान पर रहने के लिए एडवाइजरी जारी की गई है। चक्रवात के आने से पेड़, बिजली के खंबे, सेलफोन टॉवर उखड़ सकते हैं। इसकी वजह से बिजली और दूरसंचार में दिक्कत आ सकती है। इसकी वजह से खड़ी फसलों का भी नुकसान होगा।
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