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दुनिया की जनसंख्या पहुंची आठ अरब, संयुक्त राष्ट्र ने कहा- भारत की आबादी वृद्धि स्थिर होती दिख रही

नई दिल्ली:– वैश्विक आबादी के आठ अरब तक पहुंचने के बीच संयुक्त राष्ट्र ने मंगलवार को कहा कि भारत की जनसंख्या वृद्धि स्थिर होती दिख रही है, जिससे पता चलता है कि परिवार नियोजन सेवाओं तक पहुंच सहित देश की राष्ट्रीय नीतियां और स्वास्थ्य प्रणालियां काम कर रही हैं।

दुनिया की जनसंख्या ने मंगलवार को आठ अरब के आंकड़े को छू लिया जिसमें भारत का सबसे अधिक योगदान है। संयुक्त राष्ट्र (संरा) के मुताबिक दुनिया की जनसंख्या सात अरब से आठ अरब तक पहुंचने में 17.7 करोड़ लोगों का सर्वाधिक योगदान भारत का है जबकि दूसरे नंबर पर चीन है जिसने इसमें 7.3 करोड़ लोग जोड़े।

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) ने कहा, ”अच्छी खबर यह है कि भारत की जनसंख्या वृद्धि दर स्थिर दिखाई दे रही है। कमोबेश प्रजनन दर- प्रति महिला पैदा होने वाले बच्चों की औसत संख्या – राष्ट्रीय स्तर पर 2.2 से घटकर 2.0 हो गई है। कुल 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (देश की जनसंख्या का 69.7 प्रतिशत) में औसतन 2.1 के प्रतिस्थापन स्तर से जन्म दर प्राप्त होती है।”

उसने कहा, ”प्रजनन दर में गिरावट के मुख्य कारण परिवारों के, आधुनिक परिवार नियोजन तरीके में वृद्धि (2015-16 में 47.8 प्रतिशत से 2019-21 में 56.5 प्रतिशत तक) और परिवार नियोजन की अपूरित माँग में इस समान अवधि में 4 प्रतिशत की कमी देखी गई है। यह पारिवार नियोजन की नीतियों एंव कार्यक्रमों की सर्वसुलभता को प्रदर्शित करता है। संक्षेप में, ये आकड़े बताते हैं कि भारत की राष्ट्रीय जनसंख्या नीतियाँ और स्वास्थ्य प्रणालियाँ बहुत प्रभावी रही हैं।”

यूएनएफपीए ने कहा कि भारत एक युवा राष्ट्र है जिसके पास विश्व में सबसे ज्यादा युवाओं की संख्या है। उसने कहा कि जबकि विश्व के कई हिस्सों में बुजुर्ग आबादी बहुत तेजी से बढ़ रही है, भारत की युवा आबादी वैश्विक रूप से इन बुजुर्गों के लिए एक वैश्विक संसाधन हो सकती है।

उसने कहा कि वैश्विक जनसंख्या 2080 के दशक में लगभग 10.4 अरब होने की सम्भावना है, जबकि विश्व की समग्र जनसंख्या दर धीमी हो रही है।

यूएनएफपीए ने कहा कि विश्व पहले से कहीं ज्यादा जनसांख्यिकीय रूप से विविध हुआ है। उसने कहा कि विभिन्न देशों को जनसंख्या विकास से लेकर गिरावट तक अलग-अलग जनसंख्यिकीय प्रवृत्तियों का सामना करना पड़ रहा है।

भारत में संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधि शोम्बी शार्प ने कहा, ” हमें प्रत्येक व्यक्ति में निवेश करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जिससे लगातार संकटों का समना कर रहे विश्व में सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण जीवन सुनिश्चित किया जा सके। साथ ही सतत और समावेशी विकास के वैश्विक लक्ष्यों की प्राप्ति सुनिश्चित की जा सके।”

उन्होंने कहा, ”आज भारत, लैगिंक समानता और ऊर्जावान युवा आबादी का सामूहिक प्रतिनिधित्व करता है, जो बहुत ही ऐतिहासिक है। वैश्विक नवाचार और डिजिटल सर्वसुलभता भारत के सतत विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति में सर्वाधिक मददगार हैं।”

यूएनएफपीए ने कहा कि आज, वैश्विक जनसंख्या का दो-तिहाई हिस्सा कम प्रजनन क्षमता के गम्भीर संकट में जी रहा है, इनकी प्रजनन क्षमता प्रति महिला 2.1 जन्म से भी कम है। उसने कहा कि साथ ही, जनसंख्या वृद्धि विश्व के सबसे गरीब देशों में ज्यादा तीव्रता से केंद्रित हुई है, जिनमें से अधिकतर उप-सहारा अफ्रीका के देश हैं।

उसने कहा कि इन परिस्थितियों के विपरीत, वैश्विक समुदाय को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि सभी देश, चाहे उनकी जनसंख्या बढ़ रही हो या घट रही हो, अपनी आबादी के लिए अच्छे, गुणवत्तापूर्ण जीवन निर्वाह के वातावारण का निर्माण करें। साथ ही अपने हाशिये पर रहने वाले लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा करते हुए उन्हें भी सशक्त बनायें।

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