नई दिल्ली :- भारत के महान संत और विचारक रामकृष्ण परमहंस की आज पुण्यतिथि है। उनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने सभी धर्मों की एकता पर जोर दिया है। उनकी इसी विचारों से प्रेरित होकर स्वामी विवेकानंद ने अपना गुरु बनाया था। रामकृष्ण परमहंस का जन्म 18 फरवरी 1836 को बंगाल प्रांत स्थित कामारपुकुर ग्राम में हुआ था।
ऐसा कहा जाता है कि रामकृष्ण परमहंस मां काली को जब भोग लगाते थे जो मां स्वयं उनके हाथों से खाना खाती थीं। रामकृष्ण परमहंस बेहद प्रसिद्ध विचारक, धर्मिक गुरु और प्रेरक थे। रामकृष्ण परमहंस स्वामी विवेकानंद के गुरु थे। विवेकानंद जब कभी अशांत होते या मन में कोई बात घर कर जाती तो अक्सर अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस से अपने सवालों के जवाब मांगने पहुंच जाते थे।
रामकृष्ण परमहंस भारत के एक महान संत, आध्यात्मिक गुरु एवं विचारक थे। इन्होंने सभी धर्मों की एकता पर जोर दिया। उन्हें बचपन से ही विश्वास था कि ईश्वर के दर्शन हो सकते हैं अतः ईश्वर की प्राप्ति के लिए उन्होंने कठोर साधना और भक्ति का जीवन बिताया। स्वामी रामकृष्ण मानवता के पुजारी थे। साधना के फलस्वरूप वह इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि संसार के सभी धर्म सच्चे हैं और उनमें कोई भिन्नता नहीं। वे ईश्वर तक पहुँचने के भिन्न-भिन्न साधन मात्र हैं।