दिल्ली :- भारत में 12वीं की पढ़ाई करनेवाले हर छात्र के सामने अगला सवाल आता है कि अगर इंजीनियरिंग, मेडिकल जैसे विषयों की प्रवेश परीक्षाओं में ना हुआ, जिनसे कि अमूमन करियर ‘सेट’ हो जाता है, या अगर कुछ और करने की इच्छा है, तो आगे का रास्ता क्या हो, कहाँ एडमिशन लिया जाए?
और यहीं से जद्दोजहद शुरू होती है देश के नामी-गिरामी विश्वविद्यालयों या कॉलेजों में दाख़िल होने की. देश भर से छात्र दिल्ली और अन्य बड़े शहरों में स्थित कॉलेजों, विश्वविद्यालयों में प्रवेश पाना चाहते हैं.सीटें सीमित होती हैं, एडमिशन लेने की चाह रखने वाले छात्रों की संख्या ज़्यादा. ऐसे में चयन की प्रक्रिया अपनानी पड़ती है.तरीक़े दो ही थे इसके. एक- कि 12वीं में जितने नंबर आए, उनके आधार पर एडमिशन हो. और दूसरा – कि प्रवेश परीक्षा कराई जाए.
कई विश्वविद्यालय और कॉलेज 12वीं के अंकों के आधार पर दाख़िला देते थे.लेकिन इस साल से ये कोशिश शुरू हुई है कि पूरे देश के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में दाख़िले के लिए एक ही परीक्षा करवाई जाए. इस परीक्षा का नाम रखा गया है सीयूईटी
इस साल देश में पहली बार कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट यानी विश्वविद्यालय संयुक्त प्रवेश परीक्षा करवाई जा रही है.ये परीक्षा मुख्य तौर पर देश के 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों या उनके अधीन आने वाले कॉलेजों में अंडरग्रैजुएट कोर्सों में एडमिशन के लिए हो रही है. मगर प्रदेश सरकारों के विश्वविद्यालय, प्राइवेट विश्वविद्यालय और डीम्ड विश्वविद्यालय भी अपने यहाँ दाख़िले के लिए इसे अपना सकते हैं.