धनतेरस का पर्व हर वर्ष दीपावली से दो दिन पहले मनाया जाता है। यह दिन भगवान धन्वंतरि और देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस कहा जाता है। इस दिन लोग अपने घरों और दुकानों की सफाई करते हैं और दीप जलाकर शुभ ऊर्जा का स्वागत करते हैं। माना जाता है कि इस दिन खरीदी गई वस्तु घर में धन और समृद्धि का प्रवेश कराती है।
धनतेरस के दिन सोना चांदी और नए बर्तन खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि इस दिन धातु की वस्तुएं खरीदने से वर्षभर धन की बरकत बनी रहती है। लोग इस दिन चांदी के सिक्के खरीदते हैं जिन पर लक्ष्मी और गणेश की आकृति अंकित होती है। इन्हें धन का प्रतीक माना जाता है और पूजा के समय इनका विशेष स्थान होता है।
धनतेरस का एक अन्य महत्वपूर्ण पक्ष स्वास्थ्य से जुड़ा है। भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद के जनक कहा जाता है और इस दिन उनकी पूजा करने से उत्तम स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। लोग आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का सेवन करते हैं और ताम्र या पीतल के बर्तन खरीदते हैं ताकि शरीर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे।
धनतेरस केवल खरीदारी का नहीं बल्कि सकारात्मकता और आशा का प्रतीक पर्व है। यह दिन याद दिलाता है कि सच्चा धन केवल सोना चांदी नहीं बल्कि अच्छा स्वास्थ्य और पारिवारिक सुख है। जब मन प्रसन्न और घर में शांति हो तभी जीवन में वास्तविक समृद्धि आती है। इस दिन की पूजा और शुभ कर्म व्यक्ति के जीवन में नई रोशनी भर देते हैं।
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