नई दिल्ली :- भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूत बनाने की दिशा में सरकार एक और बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर रही है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इंडियन ओवरसीज बैंक सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ महाराष्ट्र को पंजाब नेशनल बैंक बैंक ऑफ बड़ौदा और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया जैसे बड़े बैंकों के साथ विलय करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। यह योजना सरकार के उस दीर्घकालिक लक्ष्य का हिस्सा है जिसके तहत देश में ऐसे बड़े बैंक बनाए जा सकें जो वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता रखते हों।
एक रिपोर्ट के मुताबिक इस प्रस्ताव पर वित्त वर्ष 2026 से 2027 के दौरान कैबिनेट और प्रधानमंत्री कार्यालय में विचार किया जाएगा। प्रस्ताव को पहले रिकॉर्ड ऑफ डिस्कशन के रूप में पेश किया जाएगा जो आगे की नीति निर्धारण का आधार बनेगा। इस दस्तावेज में बैठक के दौरान हुई चर्चाओं और सहमतियों को दर्ज किया जाता है और इसी के आधार पर आगे निर्णय लिए जाते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि तेजी से बढ़ती डिजिटल बैंकिंग और निजी क्षेत्र के बैंकों के विस्तार के बीच सरकारी बैंकों का पुनर्गठन जरूरी हो गया है। 2017 से 2020 के बीच सरकार ने पहले ही 10 बैंकों का विलय कर 4 बड़े बैंक बनाए थे जिससे बैंकिंग ढांचे को अधिक मजबूत बनाने में मदद मिली थी।
इस बार के प्रस्ताव से उम्मीद की जा रही है कि विलय के बाद सरकारी बैंकों की वित्तीय स्थिति और संचालन क्षमता दोनों में सुधार होगा। साथ ही ग्राहक सेवाओं में भी अधिक एकरूपता और दक्षता आएगी जिससे भारतीय बैंकिंग क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिल सकेगी।
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