नई दिल्ली:- भारतीय बॉन्ड बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की रुचि में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है, जिससे बाजार में अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है। जून से दो प्रमुख वैश्विक सूचकांकों में भारतीय सरकारी बॉन्डों को शामिल किए जाने के बावजूद एफआईआई का निवेश कम होता दिख रहा है।
क्या हैं इसके पीछे के कारण?
– वैश्विक बाजारों में अस्थिरता: अमेरिकी मुद्रास्फीति डेटा और भू-राजनीतिक तनावों के कारण वैश्विक बॉन्ड बाजारों में अस्थिरता देखी जा रही है जिससे एफआईआई का निवेश प्रभावित हो रहा है।
– उच्च अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड: अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में वृद्धि के कारण एफआईआई भारतीय बॉन्ड बाजार से निकलकर अमेरिकी बॉन्ड बाजार में निवेश कर रहे हैं।
– मुद्रा उतार-चढ़ाव: रुपये की तुलना में डॉलर की मजबूती के कारण एफआईआई को भारतीय बॉन्ड बाजार में निवेश करने से हिचकिचाहट हो रही है।
– मुद्रास्फीति की चिंताएं:भारत में मुद्रास्फीति की दर अधिक होने के कारण एफआईआई को भारतीय बॉन्ड बाजार में निवेश करने से पहले दो बार सोचना पड़ रहा है।
क्या है भविष्य के लिए अनुमान?
विश्लेषकों का अनुमान है कि एफआईआई का निवेश भारतीय बॉन्ड बाजार में बढ़ सकता है यदि :
– वैश्विक मुद्रास्फीति में कमी आती है
– अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती करता है
– भारतीय रुपये की स्थिरता बढ़ती है
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