नई दिल्ली:-भारत में इंजीनियर्स डे के अवसर पर हम उन तीन महिला इंजीनियरों की कहानी साझा करना चाहते हैं जिन्होंने 1944 में चेन्नई के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, गिंडी (सीईजी) से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और भारत की पहली महिला इंजीनियर बनीं। अय्यलासोमयाजुला ललिता, पीके थ्रेशिया और लीलम्मा जॉर्ज ने न केवल अपने लिए बल्कि भविष्य में आने वाली महिलाओं के लिए भी एक नया मार्ग प्रशस्त किया।
तीन पथप्रदर्शक महिलाएं
– अय्यलासोमयाजुला ललिता: ललिता ने विद्युत अभियांत्रिकी में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और बाद में एसोसिएटेड इलेक्ट्रिकल इंडस्ट्रीज (एईआई) में डिजाइन इंजीनियर के रूप में काम किया। उन्होंने भाखड़ा नांगल बांध परियोजना में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।
– पीके थ्रेशिया: थ्रेशिया ने सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और एशिया में पहली महिला मुख्य अभियंता बनीं।
– लीलम्मा जॉर्ज: लीलम्मा ने भी सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और केरल की पहली महिला अभियंता बनीं।
संघर्ष और सफलता
इन तीनों महिलाओं ने अपने करियर में कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। ललिता की बेटी स्यामला ने एक बार कहा था, “मेरी माँ ने साबित किया कि महिलाएं भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर सकती हैं।”
प्रेरणा का स्रोत
इन तीनों महिला इंजीनियरों की कहानी आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने साबित किया कि दृढ़ संकल्प और मेहनत से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
Deprecated: File Theme without comments.php is deprecated since version 3.0.0 with no alternative available. Please include a comments.php template in your theme. in /home/u754392520/domains/dastakhindustan.in/public_html/wp-includes/functions.php on line 6114