नई दिल्ली:- भारतीय अर्थव्यवस्था में वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) के दूसरे चरण (जीएसटी 2.0) में प्रौद्योगिकी परिवर्तन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। जीएसटी 2.0 में प्रौद्योगिकी के उपयोग से कर संग्रहण, कर अनुपालन और कर प्रशासन में सुधार हुआ है।
प्रौद्योगिकी के लाभ
जीएसटी 2.0 में प्रौद्योगिकी के उपयोग से कई लाभ हुए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख लाभ हैं:
– कर संग्रहण में वृद्धि: प्रौद्योगिकी के उपयोग से कर संग्रहण में वृद्धि हुई है, जिससे सरकार को अधिक राजस्व प्राप्त हुआ है।
– कर अनुपालन में सुधार: प्रौद्योगिकी के उपयोग से कर अनुपालन में सुधार हुआ है, जिससे कर चोरी की घटनाएं कम हुई हैं।
– कर प्रशासन में सुधार: प्रौद्योगिकी के उपयोग से कर प्रशासन में सुधार हुआ है, जिससे कर अधिकारियों को कर संग्रहण और कर अनुपालन की निगरानी करने में मदद मिली है।
जीएसटी 2.0 में प्रौद्योगिकी की भूमिका
जीएसटी 2.0 में प्रौद्योगिकी की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। प्रौद्योगिकी के उपयोग से जीएसटी के विभिन्न पहलुओं में सुधार हुआ है, जैसे कि:
– ऑनलाइन रिटर्न फाइलिंग: प्रौद्योगिकी के उपयोग से ऑनलाइन रिटर्न फाइलिंग की सुविधा शुरू की गई है, जिससे करदाताओं को अपने रिटर्न ऑनलाइन जमा करने में मदद मिली है।
– ई-इनवॉइस: प्रौद्योगिकी के उपयोग से ई-इनवॉइस की सुविधा शुरू की गई है, जिससे व्यवसायों को अपने इनवॉइस ऑनलाइन जमा करने में मदद मिली है।
जीएसटी 2.0 में प्रौद्योगिकी परिवर्तन एक अदृश्य गेम चेंजर है जिसने कर संग्रहण, कर अनुपालन और कर प्रशासन में सुधार किया है। प्रौद्योगिकी के उपयोग से जीएसटी के विभिन्न पहलुओं में सुधार हुआ है और करदाताओं को अपने कर दायित्वों को पूरा करने में मदद मिली है।
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