लखनऊ (उत्तर प्नदेश) :- लखनऊ से एक बड़ी खबर सामने आई है जहां उत्तर प्रदेश में स्मार्ट बिजली प्रीपेड मीटर लगाने की योजना में एक बड़ा घोटाला उजागर हुआ है। इस घोटाले ने न केवल बिजली विभाग को करोड़ों रुपये केो नुकसान दिया है साथ ही उपभोक्ताओं की समस्याएं भी बढ़ा दी हैं।आपको बताते चले मामला बेहद गंभीर है क्योंकि इसमें लगभग 6 लाख 22 हजार पुराने बिजली मीटरों के गायब होने की बात सामने आई है। जब स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए गए तो पुराने मीटरों को हटाकर जमा किया जाना था लेकिन कंपनियों ने न तो मीटर जमा किए और न ही उनकी रीडिंग की कोई सटीक जानकारी दी है। खास बात यह है कि बड़ी संख्या में पुराने मीटरों की रीडिंग को जानबूझकर शून्य दिखाया गया जिससे उपभोक्ताओं की वास्तविक बिजली खपत और बकाया बिल की जानकारी पूरी तरह गायब हो गई है।
वहीं इस अनियमितता का सीधा असर राज्य की बिजली वितरण कंपनियों पर पड़ा है क्योकिं अब उन मीटरों की यूनिट की जानकारी मौजूद नहीं है जो लाखों की संख्या में बदले गए थे। इससे बिजली विभाग को भारी राजस्व नुकसान उठाना पड़ा है और कई उपभोक्ताओं के बिलों में भी असंगति देखने को मिली है। इस पूरे मामले की शुरुआत तब हुई जब स्मार्ट मीटर लगाने वाली कंपनियों को बिजली निगमों ने पुराने मीटर सुरक्षित तरीके से जमा करने का निर्देश दिया गया था। लेकिन न तो कंपनियों ने इसे गंभीरता से लिया और न ही विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने समय रहते इसकी निगरानी की जिसके बाद से मामले ने तूल पकड़ लिया है और पूरे प्रदेश से इस तरह की गड़बड़ियों की खबरें सामने आ रही हैं। आपको बता दें उपभोक्ताओं ने पुराने मीटर की अंतिम रीडिंग को सही से दर्ज नहीं करने का आरोप लगाया है। वहीं बिजली विभाग के कर्मचारी संगठनों ने भी इस मामले में उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि अगर समय रहते इस घोटाले को नहीं रोका गया तो इससे न केवल विभाग की साख पर असर पड़ेगा बल्कि आम जनता का भरोसा भी पूरी तरह उठ जाएगा। अब देखना यह होगा कि सरकार इस मामले पर क्या कदम उठाती है।
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