मोरिगांव (असम):- असम के मोरिगांव जिले के एक पूर्व सरकारी स्कूल शिक्षक खैरुल इस्लाम के परिवार ने आरोप लगाया है कि सुरक्षा बलों ने उनके घर से उठाकर उन्हें बांग्लादेश में धकेल दिया। खैरुल इस्लाम की नागरिकता का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
क्या है मामला?
खैरुल इस्लाम, जो थेंगसाली खंडपुखुरी लोअर प्राथमिक स्कूल में शिक्षक थे, को 2016 में एक ट्रिब्यूनल ने विदेशी घोषित कर दिया था। इसके बाद उन्होंने गौहाटी हाई कोर्ट में अपील की, जिसने ट्रिब्यूनल के आदेश को बरकरार रखा। इसके बाद उन्हें दो साल के लिए तेजपुर सेंट्रल जेल में रखा गया था।
परिवार के आरोप
खैरुल इस्लाम की पत्नी रीटा खानम और बेटी अफ़रीन ने आरोप लगाया कि 23 मई को रात 11 बजे के बाद पुलिस उनके घर आई और खैरुल इस्लाम को कुछ रिपोर्ट के लिए ले जाने की बात कही। इसके बाद उन्हें माटिया डिटेंशन कैंप में रखा गया और बाद में उन्हें बांग्लादेश में धकेल दिया गया। परिवार ने एक वीडियो के माध्यम से इसकी जानकारी ली, जिसमें खैरुल इस्लाम बांग्लादेश के कुरिग्राम जिले में दिखाई दे रहे हैं।
खैरुल इस्लाम का बयान
खैरुल इस्लाम ने एक बांग्लादेशी पत्रकार से बातचीत में कहा, “मैंने असम पुलिस से कहा कि मैं एक शिक्षक हूं और मुझे सम्मान के साथ व्यवहार करना चाहिए। लेकिन उन्होंने मेरे हाथ बांध दिए और मुझे बस में बैठा दिया। सुबह 4 बजे मैं यहां पहुंच गया। बीएसएफ ने हमें 14 लोगों को बांग्लादेश में धकेल दिया”।
बीएसएफ और असम पुलिस की चुप्पी
इस मामले में बीएसएफ और असम पुलिस की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। द इंडियन एक्सप्रेस ने बीएसएफ और असम पुलिस को विस्तृत प्रश्न भेजे, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। खैरुल इस्लाम के परिवार ने आरोप लगाया है कि सुरक्षा बलों ने उनके साथ अन्याय किया है और उन्हें बांग्लादेश में धकेल दिया है। यह मामला नागरिकता के मुद्दे पर सरकार की नीतियों पर सवाल उठाता है और यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इस मामले में क्या कार्रवाई करती है ।