वाशिंगटन(अमेरिका):- अमेरिकी कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पास अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्तियों अधिनियम (आईईईपीए) के तहत टैरिफ के माध्यम से आयातों को विनियमित करने का अधिकार नहीं है। यह निर्णय भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर संभावित प्रभाव के कारण महत्वपूर्ण है।
भारत पर क्या होगा असर?
अमेरिकी अदालत के इस निर्णय से भारत पर ट्रंप की 26% प्रतिपूरक टैरिफ की धमकी के कारण उत्पन्न दबाव में कमी आ सकती है। ट्रंप ने भारत पर प्रतिपूरक टैरिफ लगाने की धमकी दी थी, जिससे भारत को व्यापार समझौते में कुछ संवेदनशील क्षेत्रों जैसे कि कृषि को खोलने के लिए दबाव डाला जा रहा था। अब इस निर्णय से भारत को इन शर्तों पर समझौता करने के लिए कम दबाव में रहना पड़ सकता है।
क्या हैं ट्रंप की टैरिफ नीतियां
ट्रंप प्रशासन ने अपनी टैरिफ नीतियों के समर्थन में दावा किया है कि इनसे भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम हुआ और चीन को व्यापार समझौते के लिए तैयार किया गया। हालांकि, भारतीय अधिकारियों ने इन दावों को खारिज कर दिया है और कहा है कि ट्रंप प्रशासन की व्यापार और टैरिफ नीतियों का भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम से कोई संबंध नहीं है।
भारत की व्यापार रणनीति
भारत ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात, स्विट्जरलैंड और नॉर्वे जैसे देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौतों के तहत अपनी औसत लागू टैरिफ दरों में कटौती की है। भारत की अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता भी इसी व्यापक व्यापार रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य प्रमुख विकसित देशों के साथ संबंधों को मजबूत करना है।
अमेरिकी अदालत के निर्णय का महत्व
अमेरिकी अदालत के इस निर्णय से न केवल भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर प्रभाव पड़ सकता है, बल्कि यह ट्रंप प्रशासन की व्यापार नीतियों पर भी एक महत्वपूर्ण टिप्पणी है। अब देखना यह है कि ट्रंप प्रशासन इस निर्णय के खिलाफ अपील करता है या नहीं, और इसका भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ता है।
अमेरिकी अदालत के इस निर्णय से भारत को व्यापार समझौते में अपनी शर्तों पर बातचीत करने के लिए अधिक शक्ति मिल सकती है। यह निर्णय ट्रंप प्रशासन की व्यापार नीतियों पर भी एक महत्वपूर्ण टिप्पणी है, और अब देखना यह है कि आगे क्या होता है।