नई दिल्ली :- 7 लोक कल्याण मार्ग (LKM): देश की वर्तमान सामरिक परिस्थितियों और बदलते वैश्विक परिदृश्य के मद्देनज़र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने आवास पर एक अत्यंत महत्वपूर्ण उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) और तीनों सेनाओं के प्रमुखों की उपस्थिति रही।
सूत्रों के अनुसार, बैठक का मुख्य उद्देश्य देश की सीमा सुरक्षा, पड़ोसी देशों के साथ बदलते रिश्तों और वैश्विक शक्ति संतुलन के बीच भारत की रणनीतिक स्थिति की समीक्षा करना था। इस बैठक में हाल ही में चीन और पाकिस्तान से सटे सीमावर्ती क्षेत्रों में बढ़ते तनाव, आतंकवाद के नए खतरे, और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती भू-राजनीतिक गतिविधियों पर चर्चा की गई।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना की तैयारियों और सीमा पर तैनाती की स्थिति पर जानकारी दी। वहीं, विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने वैश्विक मंचों पर भारत की रणनीति, मित्र देशों के साथ कूटनीतिक प्रयास और हालिया अंतरराष्ट्रीय घटनाओं का प्रभाव साझा किया।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने बैठक में देश की आंतरिक सुरक्षा, साइबर खतरों और आतंकवादी गतिविधियों की समीक्षा प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हैं और किसी भी संभावित खतरे का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
सीडीएस और सेना प्रमुखों ने तकनीकी उन्नयन, आधुनिक हथियार प्रणालियों की खरीद और संयुक्त सैन्य अभ्यासों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत की सेनाएं आज किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम हैं और देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए पूर्ण रूप से तैयार हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस बैठक में देश की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की बात दोहराई। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि सभी सुरक्षा पहलुओं पर सतत निगरानी रखी जाए और सीमाओं पर किसी भी प्रकार की घुसपैठ अथवा उकसावे की कार्रवाई का तत्काल और सटीक जवाब दिया जाए।
बैठक का यह संकेत साफ है कि भारत आने वाले समय में अपनी रणनीतिक नीति को और अधिक सक्रिय और आक्रामक बनाने की दिशा में अग्रसर है। प्रधानमंत्री मोदी की यह पहल न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से अहम है, बल्कि यह भारत की वैश्विक भूमिका को भी सुदृढ़ करती है।