न्यायपिदाव (म्यांमार) : सहानुभूति की कोई सीमा नहीं होती। भारत संकट की इस घड़ी में म्यांमार का साथ देता है। सबसे पहले 7.7 तीव्रता के भूकंप में न केवल 2,000 से अधिक लोगों की जान गई बल्कि 3,900 लोग घायल भी हुए।
चावल, खाद्य तेल और दवाओं सहित लगभग 440 टन राहत सामग्री लेकर विशाखापत्तनम से रवाना हुआ INS घड़ियाल मंगलवार को प्रभावित लोगों की मदद के लिए रवाना हुआ। इससे पहले सोमवार को INS सतपुड़ा और INS सावित्री पर 50 टन सहायता और INS करमुक और LCU 52 पर यांगून में 30 टन आपूर्ति पहुंचाई गई थी।
भारत की त्वरित प्रतिक्रिया, जिसका कोडनेम ‘ऑपरेशन ब्रह्मा‘ है, उसने 200 बिस्तरों वाले अर्ध-स्थायी फील्ड अस्पताल को भी मंडाले पहुंचाया है जो 23 अप्रैल को चालू हो गया और चिकित्सा पेशेवरों की 118 सदस्यीय टीम के साथ आया। अस्पताल ने पहले ही 100 से ज़्यादा लोगों का इलाज किया है और दो जीवन रक्षक सर्जरी की हैं।
मांडले के मुख्यमंत्री यू म्यो आंग ने सुविधा की क्षमताओं का निरीक्षण करने के लिए व्यक्तिगत रूप से दौरा किया। मानवीय आपदा के प्रति भारत की प्रतिक्रिया स्थिर रही है। बचाव दल, चिकित्सा आपूर्ति और राहत सामग्री जहाजों और सैन्य विमानों के ज़रिए म्यांमार भेजी जा रही है। म्यांमार में भारतीय दूतावास द्वारा चल रहे राहत कार्य की टिप्पणी और तस्वीरें साझा की गईं जिसने म्यांमार को अपना समर्थन दोहराया है।