नई दिल्ली:- हाल ही में भारतीय उद्योग जगत ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है जो देश के व्यापारिक हितों को प्रभावित कर सकता है उद्योग जगत ने बाजार पहुंच की चिंता के कारण शून्य-शून्य रेखा पर जाने का फैसला किया है।
क्या है शून्य-शून्य रेखा?
शून्य-शून्य रेखा का अर्थ है कि दो देशों के बीच व्यापार में शून्य टैरिफ और शून्य गैर-टैरिफ बाधाएं होंगी। इसका मतलब है कि दोनों देशों के बीच व्यापार पूरी तरह से मुक्त होगा।
बाजार पहुंच की चिंता
उद्योग जगत ने बाजार पहुंच की चिंता के कारण शून्य-शून्य रेखा पर जाने का फैसला किया है उनका मानना है कि यदि भारतीय उत्पादों को विदेशी बाजारों में पहुंच नहीं मिलेगी तो देश के व्यापारिक हितों को नुकसान होगा।
उद्योग जगत की मांग
उद्योग जगत ने सरकार से मांग की है कि वह विदेशी बाजारों में भारतीय उत्पादों की पहुंच बढ़ाने के लिए कदम उठाए। उन्होंने कहा है कि यदि सरकार इस मांग को पूरा नहीं करती है तो वे शून्य-शून्य रेखा पर जाने के लिए मजबूर होंगे।
सरकार की प्रतिक्रिया
सरकार ने उद्योग जगत की मांग पर कहा है कि वह विदेशी बाजारों में भारतीय उत्पादों की पहुंच बढ़ाने के लिए कदम उठा रही है। उन्होंने कहा है कि सरकार उद्योग जगत के साथ मिलकर काम कर रही है ताकि देश के व्यापारिक हितों को बढ़ावा मिल सके। उद्योग जगत का शून्य-शून्य रेखा पर जाने का फैसला एक महत्वपूर्ण कदम है जो देश के व्यापारिक हितों को प्रभावित कर सकता है सरकार को चाहिए कि वह उद्योग जगत की मांगों को पूरा करने के लिए कदम उठाए ताकि देश के व्यापारिक हितों को बढ़ावा मिल सके।