बेंगलुरु (कर्नाटक):- कर्नाटक सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए पहली से दसवीं कक्षा तक कन्नड़ भाषा को अनिवार्य करने का निर्णय लिया है। यह फैसला राज्य के शिक्षा विभाग द्वारा लिया गया है और इसका उद्देश्य कन्नड़ भाषा को बढ़ावा देना और राज्य की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना है। इस फैसले के अनुसार पहली से दसवीं कक्षा तक के सभी सरकारी और निजी स्कूलों में कन्नड़ भाषा को अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाया जाएगा। इसके अलावा राज्य के सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में भी कन्नड़ भाषा को अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाया जाएगा।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने इस फैसले को एक महत्वपूर्ण कदम बताया है और कहा है कि इससे कन्नड़ भाषा को बढ़ावा मिलेगा और राज्य की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित किया जा सकेगा। उन्होंने कहा “कन्नड़ भाषा हमारी सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और हमें इसे बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।”
कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने भी इस फैसले को एक महत्वपूर्ण कदम बताया है और कहा है कि इससे राज्य के विद्यार्थियों को कन्नड़ भाषा में महारत हासिल करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा “कन्नड़ भाषा हमारी मातृभाषा है और हमें इसे बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।”
इस फैसले का स्वागत करते हुए कर्नाटक के विद्यार्थी और शिक्षकों ने कहा है कि इससे कन्नड़ भाषा को बढ़ावा मिलेगा और राज्य की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित किया जा सकेगा। हालांकि कुछ लोगों ने इस फैसले की आलोचना भी की है और कहा है कि इससे अंग्रेजी और अन्य भाषाओं के महत्व को कम किया जा सकता है।