नई दिल्ली:- भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के मिनट्स से पता चलता है कि ब्याज दर में और कटौती की संभावना है। यह कटौती आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए की जा सकती है।आरबीआई के गवर्नर ने कहा है कि मौद्रिक नीति का मुख्य उद्देश्य आर्थिक विकास को बढ़ावा देना और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना है। उन्होंने कहा कि आरबीआई ब्याज दर में कटौती करने के लिए तैयार लेकिन यह कटौती आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए की जाएगी।
एमपीसी की बैठक में आर्थिक विकास और मुद्रास्फीति की समीक्षा की गई। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि ब्याज दर में कटौती करने की आवश्यकता है लेकिन यह कटौती आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए की जाएगी। आरबीआई के इस निर्णय से आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल सकता है और मुद्रास्फीति को नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन यह भी ध्यान रखना आवश्यक है कि ब्याज दर में कटौती करने से आर्थिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है।
इसलिए आरबीआई को ब्याज दर में कटौती करने से पहले आर्थिक विकास और मुद्रास्फीति की स्थिति का ध्यानपूर्वक विश्लेषण करना आवश्यक है। इसके अलावा आरबीआई को यह भी सुनिश्चित करना आवश्यक है कि ब्याज दर में कटौती करने से आर्थिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
आरबीआई की मौद्रिक नीति के मुख्य उद्देश्य
– आर्थिक विकास को बढ़ावा देना
– मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना
– वित्तीय स्थिरता बनाए रखना
– बैंकिंग प्रणाली को सुधारना
आरबीआई की मौद्रिक नीति के मुख्य उपकरण
– ब्याज दर
– नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर)
– सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर)
– मुक्त बाजार संचालन
इस प्रकार आरबीआई की मौद्रिक नीति का मुख्य उद्देश्य आर्थिक विकास को बढ़ावा देना और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना है। आरबीआई की मौद्रिक नीति के मुख्य उपकरण ब्याज दर नकद आरक्षित अनुपात सांविधिक तरलता अनुपात और मुक्त बाजार संचालन हैं।