नई दिल्ली:- दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) और इसके नेता अरविंद केजरीवाल पर तीखे सियासी हमले करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने विपक्षी गठबंधन आईएनडीआईए के साथी दलों के दबाव को खारिज कर दिया है। राजधानी के सीलमपुर में हुई उनकी पहली चुनावी रैली ने न केवल कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश भरा बल्कि सियासी माहौल को भी गरमा दिया। राहुल गांधी ने अपने भाषण में आप सरकार की असफलताओं को गिनाते हुए यह साफ संदेश दिया कि राज्यों में कांग्रेस अपनी राजनीतिक जमीन फिर से हासिल करने के लिए पूरी मजबूती से आगे बढ़ेगी।
राहुल गांधी ने दिल्ली सरकार की विफलताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि जनता को झूठे वादों और खोखली घोषणाओं से गुमराह किया गया है। उन्होंने दिल्ली को पेरिस बनाने के केजरीवाल के वादे पर तंज कसा और शहर की बदहाल नागरिक सुविधाओं को देश के सामने रखा।
राहुल ने विपक्षी गठबंधन के उन दलों को भी आड़े हाथों लिया जो दिल्ली चुनाव में भाजपा को हराने के नाम पर कांग्रेस को आम आदमी पार्टी के साथ नरमी बरतने के लिए मजबूर कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस राज्यों में अपनी सियासी पहचान की कीमत पर कोई समझौता नहीं करेगी।
दिल्ली चुनाव से पहले कांग्रेस और आप के बीच सीटों के तालमेल को लेकर कई दौर की बातचीत हुई। कांग्रेस ने 2-3 सीटें देने का प्रस्ताव रखा लेकिन आप इससे कहीं अधिक सीटें मांग रही थी। जब यह समीकरण नहीं बैठ पाया तो कांग्रेस ने आप के साथ गठबंधन करने से इनकार कर दिया।
रैली के अगले दिन राहुल गांधी ने रिठाला जैसे बाहरी इलाकों का दौरा किया और वहां की जमीनी हकीकत को जनता के सामने लाया। उन्होंने खराब सड़कों, पानी की किल्लत, और सफाई व्यवस्था पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया।
राहुल गांधी के इन आक्रामक तेवरों से समाजवादी पार्टी (सपा), तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), और शिवसेना (यूबीटी) जैसे दलों को नाराजगी हो सकती है। ये दल चाहते थे कि भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस केजरीवाल के साथ पूरी तरह समझौता करे।
राहुल गांधी की आक्रामक रणनीति से दिल्ली चुनाव में कांग्रेस ने अपनी स्वतंत्र सियासी पहचान को मजबूत करने का प्रयास किया है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि गठबंधन के नाम पर कांग्रेस अपने सिद्धांतों और लक्ष्यों से समझौता नहीं करेगी।