नई दिल्ली:- केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने हाल ही में यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में शिक्षकों और शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति और पदोन्नति के लिए यूजीसी विनियम 2025 का मसौदा जारी किया है। इस मसौदे के तहत उच्च शिक्षा के मानकों को बनाए रखने और सुधारने के लिए कई महत्वपूर्ण उपाय किए गए हैं।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह मसौदा उच्च शिक्षा के हर पहलू में इनोवेशन, समावेशिता, फ्लेक्सिबिलिटी और गतिशीलता लाने में मदद करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस मसौदे से शिक्षकों और शैक्षणिक कर्मचारियों को सशक्त किया जाएगा और शैक्षणिक मानकों को मजबूत किया जाएगा।
धर्मेंद्र प्रधान ने यह भी बताया कि मसौदा विनियम को फीडबैक और सुझावों के लिए सार्वजनिक डोमेन में रखा गया है। जल्द ही इसे फाइनल रूप में प्रकाशित किया जाएगा जिससे भारतीय शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव होंगे और देश 2047 तक विकसित भारत की दिशा में आगे बढ़ेगा।
यूजीसी विनियम 2025 की प्रमुख विशेषताएं:
1. लचीलापन: कैंडिडेट उन विषयों में भी टीचिंग करियर बना सकेंगे जिनमें वे NET/SET के माध्यम से क्वालिफाई करते हैं भले ही वे उनके पिछली डिग्री से अलग हों। पीएचडी स्पेशलाइजेशन को प्राथमिकता दी जाएगी।
2. भारतीय भाषाओं को बढ़ावा: मसौदा विनियम में भारतीय भाषाओं के उपयोग को बढ़ावा दिया गया है खासकर एकेडमिक पब्लिकेशन्स और डिग्री कोर्सेस में।
3. समग्र मूल्यांकन: इसे स्कोर-आधारित शॉर्ट-लिस्टिंग को समाप्त करने और योग्यता, ‘नोटेबल कंट्रीब्यूशन’ पर जोर देने के रूप में देखा जा सकता है।
4. डाइवर्स टैलेंट पूल: यह आर्ट्स, स्पोर्ट्स और पारंपरिक विषयों के एक्सपर्ट की भर्तियों के लिए रास्ता बनाता है।
5. समावेशिता: विकलांग व्यक्तियों और निपुण खिलाड़ियों के लिए टीचिंग प्रोफेशन में अवसर बढ़ाए गए हैं।
6. बेहतर शासन: कुलपतियों के लिए चयन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाते हुए विस्तारित पात्रता मानदंड के साथ संशोधित किया गया है।
7. पदोन्नति प्रक्रिया: शिक्षकों की पदोन्नति के लिए मानदंडों को सुव्यवस्थित किया गया है जिसमें शिक्षण, शोध और शैक्षणिक योगदान पर जोर दिया गया है।
8. प्रोफेशनल डेवलपमेंट पर ध्यान: फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम्स के माध्यम से शिक्षकों के लिए निरंतर सीखने और कौशल वृद्धि को बढ़ावा दिया जाएगा।
9. पारदर्शिता और जवाबदेही: रिक्रूटमेंट, प्रमोशन और शिकायतों के समाधान के लिए पारदर्शी प्रक्रियाओं को बढ़ावा दिया गया है।
यह मसौदा शिक्षा प्रणाली में गुणात्मक सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और इससे शिक्षा के क्षेत्र में और अधिक बदलाव की संभावना है।