नई दिल्ली:- दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। 1989 से दिल्ली में चुनावी संघर्ष में भाग ले रही बसपा ने इस बार सभी 70 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने की घोषणा की है। पार्टी की विशेष नजर दिल्ली के करीब 17 प्रतिशत अनुसूचित जाति (SC) और मुस्लिम मतदाताओं पर है जो चुनावी परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं।
बसपा को अब तक लोकसभा चुनावों में कोई सफलता नहीं मिली है लेकिन विधानसभा और नगर निगम चुनावों में पार्टी ने अपनी मौजूदगी बनाए रखी है। पार्टी ने पिछले माह से बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर के नाम पर राजनीति की दिशा बदलने की कोशिश की है और इस बार भी दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी रणनीति तैयार की है।
बसपा की चुनावी योजना के तहत दिल्ली को पांच क्षेत्रों में बांटकर उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा। पार्टी प्रमुख मायावती अगले दो सप्ताह में दिल्ली पहुंचने की संभावना है। इस दौरान उनके भतीजे आकाश पूर्वी दिल्ली में रैली आयोजित कर चुनाव प्रचार की शुरुआत कर सकते हैं।
बसपा को अब तक लोकसभा चुनावों में कोई सफलता नहीं मिली है लेकिन विधानसभा और नगर निगम चुनावों में पार्टी ने अपनी मौजूदगी बनाए रखी है। पार्टी ने पिछले माह से बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर के नाम पर राजनीति की दिशा बदलने की कोशिश की है और इस बार भी दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी रणनीति तैयार की है।
बसपा की चुनावी योजना के तहत दिल्ली को पांच क्षेत्रों में बांटकर उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा। पार्टी प्रमुख मायावती अगले दो सप्ताह में दिल्ली पहुंचने की संभावना है। इस दौरान उनके भतीजे आकाश पूर्वी दिल्ली में रैली आयोजित कर चुनाव प्रचार की शुरुआत कर सकते हैं।
दिल्ली में पार्टी की स्थापना से ही एक मजबूत आधार रही है। पार्टी के संस्थापक कांशी राम पूर्वी दिल्ली से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं और मायावती भी त्रिलोकपुरी में निवास कर चुकी हैं। 2008 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टी ने दो सीटें जीती थीं लेकिन आम आदमी पार्टी के उभार के बाद पार्टी की स्थिति कमजोर पड़ गई थी। दिल्ली में कुल 12 आरक्षित सीटें हैं जिनमें से करीब 30 विधानसभा क्षेत्रों में अनुसूचित जाति और मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। बसपा इन वोटों को अपने पक्ष में लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।