चेन्नई(तमिलनाडु):-थिरुपुरुर के प्राचीन और प्रसिद्ध अरुलमिगु कंदस्वामी मंदिर में एक ऐसी घटना घटी जिसने न केवल श्रद्धालुओं को हैरान किया बल्कि सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा बटोरी। यह घटना तब हुई जब एक भक्त दिनेश पूजा के दौरान अनजाने में अपना कीमती आईफोन मंदिर की हुंडी (दान पात्र) में गिरा बैठा।
कैसे हुई यह घटना?
दिनेश, जो विनायगपुरम का निवासी है, कुछ हफ्ते पहले अपने परिवार के साथ भगवान कंदस्वामी के दर्शन करने गया था। पूजा के बाद हुंडी में दान देने के लिए उसने अपनी जेब से पैसे निकालने की कोशिश की। इसी दौरान गलती से उसका आईफोन भी नोट के साथ उसके हाथ से छूटकर हुंडी में जा गिरा। हुंडी की ऊंचाई और मंदिर की भीड़भाड़ के चलते वह फोन को तुरंत वापस नहीं निकाल सका।
मंदिर प्रशासन का रुख
दिनेश ने तत्काल इस घटना की जानकारी मंदिर प्रशासन को दी। लेकिन अधिकारियों ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि हुंडी में डाली गई हर चीज़ भगवान की संपत्ति मानी जाती है चाहे वह गलती से गिरी हो या जानबूझकर। इस परंपरा के अनुसार हुंडी में गई चीज़ों को वापस नहीं किया जा सकता। अधिकारियों ने यह भी बताया कि हुंडी को केवल दो महीने में एक बार खोला जाता है। इसलिए जब तक हुंडी नहीं खोली जाती फोन को वापस लेने का सवाल ही नहीं उठता।
समाधान की तलाश
दिनेश ने निराश होकर इस मामले को हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती (एचआर एंड सीई) विभाग के समक्ष उठाया। दिनेश ने अपनी शिकायत में तर्क दिया कि फोन गलती से गिरा था और उसमें उसके व्यक्तिगत डेटा व जरूरी जानकारी मौजूद है। जब दो महीने बाद हुंडी खोली गई, तो मंदिर अधिकारियों ने फोन बरामद किया। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने फोन को दिनेश को लौटाने से इंकार कर दिया। उनका कहना था कि “यह वस्तु अब भगवान की संपत्ति है।” अधिकारियों ने दिनेश को केवल सिम कार्ड बदलने और फोन का डेटा डाउनलोड करने की अनुमति दी।
भक्तों में चर्चा
इस घटना ने मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के बीच उत्सुकता का माहौल पैदा कर दिया। कुछ लोग इसे परंपरा के प्रति मंदिर की निष्ठा मान रहे हैं तो कुछ इसे अनुचित ठहरा रहे हैं।
मंदिर प्रशासन का बयान
मंदिर के कार्यकारी अधिकारी कुमारवेल ने कहा “हमारी परंपरा के अनुसार हुंडी में गिरने वाली हर वस्तु भगवान की संपत्ति बन जाती है। यह स्पष्ट नहीं है कि फोन गलती से गिरा या जानबूझकर। इसलिए हम इसे वापस नहीं कर सकते।”
इस घटना ने धार्मिक परंपराओं और आधुनिक तकनीक के बीच टकराव का एक दिलचस्प उदाहरण प्रस्तुत किया है। हालांकि दिनेश को अपना फोन वापस नहीं मिल सका लेकिन इसने मंदिर की परंपरा और प्रशासन की सख्ती को जरूर उजागर कर दिया। अब यह मामला भक्तों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।