अजमेर (राजस्थान):- अजमेर शरीफ दरगाह को हिंदू मंदिर घोषित करने के विवाद में अजमेर की स्थानीय अदालत में नए मोड़ सामने आए हैं। इस विवाद के तहत अदालत में पांच नई याचिकाएं दायर की गई हैं जिनमें विभिन्न पक्षों द्वारा मामले में पक्षकार बनने की अपील की गई है। अदालत ने 27 नवंबर को दरगाह को मंदिर घोषित करने की मांग वाली याचिका को स्वीकार किया था जिसके बाद से इस मुद्दे पर गर्मागर्म बहस शुरू हो गई है।
इन याचिकाओं में से एक याचिका दरगाह के दीवान जैनुल आबेदीन अली खान द्वारा दायर की गई है। उनके वकील नसीरुद्दीन चिश्ती ने अदालत में बताया कि उनके पिता दरगाह के प्रमुख थे और वे इस मामले में अपनी ओर से दलील पेश करना चाहते हैं। इसके साथ ही अन्य आवेदकों ने भी इस विवाद में हस्तक्षेप करने की इच्छा जताई है।
अदालत ने इन पांच याचिकाओं को स्वीकार करते हुए मामले की अगली सुनवाई 24 जनवरी को तय की है। वकील योगेंद्र ओझा जो एक प्रमुख पक्षकार के वकील हैं ने बताया कि अदालत ने सभी पक्षों को नोटिस का जवाब देने का निर्देश दिया है ताकि मामले में सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद निर्णय लिया जा सके।
यह विवाद अजमेर के ऐतिहासिक दरगाह शरीफ को हिंदू मंदिर घोषित करने की मांग से जुड़ा हुआ है जिसका धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से गहरा प्रभाव हो सकता है। दरगाह के भक्तों और स्थानीय मुस्लिम समुदाय के बीच इस मुद्दे को लेकर भारी विरोध और आक्रोश देखने को मिल रहा है। इसके बावजूद अदालत का निर्णय इस मामले की दिशा तय करेगा और समाज में इस मामले के परिणामस्वरूप उत्पन्न होने वाली स्थितियों को प्रभावित करेगा।
अजमेर दरगाह का इतिहास और उसकी धार्मिक महत्ता इसे न केवल मुस्लिम समुदाय के लिए बल्कि पूरे देश के सांस्कृतिक और धार्मिक परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण बनाती है। अदालत का निर्णय इस विवाद को शांतिपूर्वक सुलझाने के लिए बेहद अहम होगा।