पंजाब ( चंडीगढ़):- सुप्रीम कोर्ट में शंभू बॉर्डर पर चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन को लेकर सुनवाई जारी है। किसानों ने अदालत द्वारा गठित की गई समिति के साथ बातचीत करने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को स्पष्ट किया कि यदि किसानों के पास कोई सुझाव या मांग हो तो वे सीधे अदालत से संपर्क कर सकते हैं।
इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच में हुई। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने एक उच्चाधिकार समिति गठित की थी और किसानों से अनुरोध किया था कि वे विरोध को अस्थायी रूप से स्थानांतरित या निलंबित करने के लिए समिति से बातचीत करें।
सुनवाई के दौरान पंजाब के एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह ने बताया कि डल्लेवाल (किसान नेता, जो आमरण अनशन पर हैं) के साथ विस्तृत चर्चा की गई लेकिन उन्होंने चिकित्सा परीक्षण से इनकार कर दिया। जस्टिस सूर्यकांत ने इस पर टिप्पणी की कि किसानों को स्वस्थ रहना होगा ताकि वे अपने आंदोलन को प्रभावी रूप से जारी रख सकें।
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि डल्लेवाल को तुरंत चिकित्सा सहायता दी जाए। किसानों ने स्पष्ट किया कि वे समिति से बातचीत नहीं करेंगे बल्कि अपनी मांगें सीधे अदालत में प्रस्तुत करेंगे। इस पर कोर्ट ने कहा कि अदालत के दरवाजे हमेशा किसानों के लिए खुले हैं और वे अपनी मांगें सीधे या उनके अधिकृत प्रतिनिधियों के माध्यम से प्रस्तुत कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि डल्लेवाल को चिकित्सीय सहायता मिले और उनका स्वास्थ्य ठीक रहे। कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि अगर किसी कारण से डल्लेवाल या किसी अन्य आंदोलनकारी के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ा तो पूरा राज्य तंत्र दोषी ठहराया जाएगा। गुरुवार को इस मामले पर फिर से सुनवाई होगी जहां किसानों की स्थिति और उनके आंदोलन के भविष्य पर चर्चा की जाएगी।