नई दिल्ली: भारत में Gen Z (1997-2012 के बीच जन्मे) के बारे में हाल ही में कुछ चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई हैं जिसमें दावा किया गया है कि इस पीढ़ी के लोग छोटी-छोटी बातों पर जल्दी नाराज हो जाते हैं और अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर पाते। कंपनियां इस प्रवृत्ति को लेकर चिंतित हैं और अब कुछ कंपनियां Gen Z के कर्मचारियों को रखने से बच रही हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक Gen Z के लोग अपनी कार्यस्थल की उम्मीदों को लेकर काफी संवेदनशील होते हैं और उन्हें अपने काम के प्रति स्थिरता, संतुलन और सकारात्मक प्रतिक्रिया की अपेक्षाएं होती हैं। जब इन उम्मीदों को पूरा नहीं किया जाता, तो वे मानसिक दबाव में आ जाते हैं और कार्यस्थल पर तनाव उत्पन्न कर सकते हैं। इसी कारण कंपनियां इस जनरेशन के कर्मचारियों के साथ कार्य वातावरण बनाए रखने में मुश्किलें महसूस कर रही हैं।
इसके अलावा Gen Z की मानसिकता के कारण वे पारंपरिक नौकरियों में लंबे समय तक टिकने में दिलचस्पी नहीं दिखाते जिससे कंपनियों के लिए उन्हें प्रशिक्षित करना और बनाए रखना महंगा साबित हो रहा है। इसके बजाय Gen Z का झुकाव फ्लेक्सिबल कार्य मॉडल्स और दूरस्थ कार्य की ओर बढ़ता जा रहा है जिससे कंपनियों के लिए उनके लिए स्थिर और सामंजस्यपूर्ण कार्य वातावरण तैयार करना चुनौतीपूर्ण हो गया है।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कंपनियां Gen Z की आवश्यकताओं और मानसिकता को समझकर उनके लिए काम करने की संस्कृति तैयार करती हैं तो यह पीढ़ी कंपनी के लिए नए अवसर और इनोवेशन का स्रोत बन सकती है।