नई दिल्ली:- वन नेशन-वन इलेक्शन का सपना अब साकार होने की ओर है। केंद्रीय कैबिनेट ने इस ऐतिहासिक बिल को मंजूरी दे दी है जिसे शीतकालीन सत्र में संसद में पेश किए जाने की संभावना है। इस कदम का उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया को अधिक संगठित और प्रभावी बनाना है।
क्या है वन नेशन-वन इलेक्शन?
वन नेशन-वन इलेक्शन का मतलब है कि देशभर में लोकसभा राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ कराए जाएं। यह कदम न केवल समय और संसाधनों की बचत करेगा बल्कि देशभर में चुनावी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और व्यवस्थित बनाएगा।
1951-52 में देश में पहली बार लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए गए थे। उस समय यह परंपरा कुछ वर्षों तक चली, लेकिन 1967 के बाद से इसमें बदलाव आ गया। राज्यों की विधानसभाओं को समय से पहले भंग करने या लोकसभा के मध्यावधि चुनावों के कारण यह परंपरा टूट गई। इसके बाद से हर साल किसी न किसी राज्य में चुनाव होते रहे।
वन नेशन-वन इलेक्शन का विचार 2014 के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तेजी से चर्चा में आया। बीते एक दशक में इस पर गहन विचार-विमर्श हुआ और इसे अमल में लाने की कोशिशें तेज हुईं।
2029 में पहली बार हो सकते हैं एक साथ चुनाव:
अगर यह बिल संसद में पारित हो गया और प्रक्रिया पूरी तरह सुचारू रही तो 2029 में देश एक नई शुरुआत करेगा। लोकसभा, विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के लिए एक साथ चुनाव कराए जाएंगे। इससे मतदाता एक ही बार में सभी स्तरों पर अपने प्रतिनिधि चुन सकेंगे।
क्या होंगे फायदे?
खर्च में कटौती: बार-बार चुनाव कराने पर होने वाले भारी खर्च को कम किया जा सकेगा।
शासन में स्थिरता: चुनावी आचार संहिता के बार-बार लागू होने से विकास कार्यों में रुकावटें नहीं आएंगी।
प्रशासनिक सुविधा: चुनावी प्रक्रिया को संचालित करना आसान होगा।