नई दिल्ली:- भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के बढ़ते उपयोग और इसके संभावित दुरुपयोग को लेकर कानून बनाने की संभावना पर बुधवार को लोकसभा में चर्चा हुई। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कांग्रेस सांसद अदूर प्रकाश के सवाल के जवाब में कहा कि सरकार एआई पर कानून लाने के लिए तैयार है बशर्ते सदन और समाज की आम सहमति हो।
क्या कहा केंद्रीय मंत्री ने?
लोकसभा में अपने बयान में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा अगर संसद और समाज इस पर सहमति देते हैं तो सरकार एआई पर कानून लाने के लिए पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सरकार प्रौद्योगिकी के लोकतंत्रीकरण में विश्वास रखती है और इसे देश के हर वर्ग तक पहुंचाना चाहती है। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछली सरकारों में ऐसी कोई कोशिश नहीं हुई थी जबकि मोदी सरकार प्रौद्योगिकी के प्रभावी और सुरक्षित उपयोग के लिए प्रतिबद्ध है।
इस बयान के बाद विपक्षी सांसदों ने सरकार पर निशाना साधा। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि सरकार केवल दिखावे की राजनीति कर रही है। विपक्ष ने यह भी सवाल उठाया कि सरकार अभी तक एआई के खतरों और इसके उपयोग पर स्पष्ट नीति क्यों नहीं लाई है।
एआई कानून की जरूरत क्यों?
एआई तकनीक का तेजी से उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और औद्योगिक क्षेत्रों में हो रहा है। हालांकि इसके साथ ही डेटा की गोपनीयता, सुरक्षा और रोजगार के अवसरों पर इसके प्रभाव को लेकर चिंताएं भी बढ़ रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर एआई के लिए एक सुसंगत कानूनी ढांचा नहीं बनाया गया तो इसके दुरुपयोग के जोखिम बढ़ सकते हैं।
अगले कदम क्या होंगे?
सरकार का यह बयान एक सकारात्मक संकेत है कि देश में एआई के उपयोग को नियंत्रित करने और इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए कानूनी कदम उठाए जा सकते हैं। अब यह देखना होगा कि संसद में इस पर आम सहमति कैसे बनती है और सरकार किस तरह से इस मुद्दे को आगे बढ़ाती है। मंत्री ने अपने बयान में कहा कि प्रौद्योगिकी का विकास जरूरी है लेकिन इसे नियंत्रित करने के लिए नियम और कानून उतने ही महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने यह भी बताया कि एआई को लेकर सरकार पहले से कई योजनाओं पर काम कर रही है।