नई दिल्ली:- न्यूजीलैंड के पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी लू विंसेंट ने हाल ही में खुलासा किया कि भारत में मैच फिक्सिंग की दुनिया में धकेला गया था। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी दुनिया है जिसमें एक बार शामिल होने के बाद बाहर निकलना बेहद मुश्किल होता है। विंसेंट ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए इंडियन क्रिकेट लीग (ICL) का भी उल्लेख किया जो 2000 के दशक के अंत में बंद हो गई थी। लू विंसेंट जिन्होंने न्यूजीलैंड के लिए 23 टेस्ट और 108 वनडे मैच खेले थे ने बताया कि कैसे वह इस दुनिया में फंस गए। उन्होंने कहा भारत में रहते हुए मुझे मैच फिक्सिंग का सामना करना पड़ा। मुझे ऐसा महसूस हुआ कि मैं एक गिरोह का हिस्सा बन गया था जहां हर कोई मुझे सहारा दे रहा था और यह एक गुप्त दुनिया थी।
उनका करियर डिप्रेशन और मैच फिक्सिंग के आरोपों की वजह से टूट गया। 2014 में इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड ने उन्हें मैच फिक्सिंग के आरोप में लाइफटाइम बैन लगा दिया था हालांकि पिछले साल उनका बैन कम कर दिया गया और उन्हें घरेलू क्रिकेट खेलने की अनुमति दी गई। लू विंसेंट ने एक इंटरव्यू में कहा मैं मानसिक रूप से इतना मजबूत नहीं था कि पेशेवर क्रिकेट खिलाड़ी बन सकूं। 28 साल की उम्र में मैं डिप्रेशन का शिकार हो गया था। भारत जाने के बाद मुझे इस गिरोह में शामिल किया गया और मुझे लगा कि मैं एक ऐसी दुनिया का हिस्सा बन गया हूं जहां बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था।
विंसेंट ने यह भी बताया कि उन्हें 12 साल की उम्र से खुद ही अपनी देखभाल करनी पड़ी थी और इस कारण वह कभी-कभी अपने आसपास के लोगों के बहकावे में आ जाते थे। उनका कहना था कि मैच फिक्सिंग की दुनिया में घुसना आसान था लेकिन वहां से निकलना बेहद मुश्किल होता है क्योंकि वहां के लोग और उनके परिवार का सही तरह से पीछा किया जाता है।यह घटना क्रिकेट के प्रति जागरूकता को बढ़ाने और खिलाड़ियों को मानसिक रूप से मजबूत बनाने की जरूरत को उजागर करती है ताकि वे किसी भी ऐसे अवैध गतिविधि का हिस्सा न बनें, जो उनके करियर और सम्मान को नुकसान पहुंचा सकती है।