नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा जारी मुफ्त राशन योजना पर सवाल उठाए और यह पूछा कि कब तक मुफ्त राशन बांटा जाएगा? अदालत ने यह टिप्पणी उस समय की जब सरकार की राशन वितरण योजना पर सुनवाई हो रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा कि यदि 81 करोड़ लोग मुफ्त राशन प्राप्त कर रहे हैं, तो रोजगार के अवसर क्यों नहीं उत्पन्न किए जा रहे, ताकि लोग आत्मनिर्भर बन सकें।
प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सरकार से यह सवाल किया कि क्या यह स्थायी उपाय हो सकता है क्योंकि मुफ्त राशन का वितरण एक अस्थायी समाधान प्रतीत होता है। कोर्ट ने यह भी इंगित किया कि केवल टैक्सपेयर वर्ग ही इस योजना से बाहर है जबकि 81 करोड़ लाभार्थी सीधे तौर पर इसका फायदा उठा रहे हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि लंबे समय तक मुफ्त राशन वितरण एक स्थायी समाधान नहीं हो सकता बल्कि इसे रोजगार सृजन और विकासात्मक योजनाओं के साथ जोड़कर समस्या का स्थायी समाधान निकालना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह भी पूछा कि राशन वितरण के अलावा क्या सरकार यह सुनिश्चित कर सकती है कि गरीबों के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए जाएं ताकि वे अपनी आजीविका को बेहतर बना सकें। कोर्ट ने यह सवाल उठाया कि क्या सरकार की योजनाओं में यह पहल शामिल है जिससे गरीबों को रोजगार मिल सके और वे अपने जीवन स्तर को ऊंचा कर सकें।
यह सुनवाई तब हुई जब केंद्र सरकार ने पीएमजीकेएवाई योजना का विस्तार करने की घोषणा की थी जो 81 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को खाद्यान्न प्रदान करती है। अदालत ने यह भी कहा कि सरकार को रोजगार सृजन के लिए ज्यादा ध्यान देना चाहिए ताकि लोग केवल खाद्यान्न पर निर्भर न रहें बल्कि आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें।
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी इस बात की ओर इशारा करती है कि गरीबों को सिर्फ मदद देने के बजाय उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए रोजगार और विकास की दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। यह सुनवाई दिल्ली स्थित सुप्रीम कोर्ट में हुई जो इस प्रकार की महत्वपूर्ण सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर सरकार से जवाब तलब करता है।